धर्मनिरपेक्षता की समझ
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: अपने आस-पड़ोस में प्रचलित धार्मिक क्रियाकलापों की सूची बनाइए। आप विभिन्न प्रकार की प्रार्थनाओं, विभिन्न देवताओं की पूजा, विभिन्न पवित्र स्थानों, विभिन्न प्रकार के धार्मिक संगीत और गायन आदि को देख सकते हैं। क्या इससे धार्मिक क्रियाकलापों की स्वतंत्रता का पता चलता है?
उत्तर: मेरे आस-पड़ोस में कई तरह के धार्मिक क्रियाकलाप होते रहते हैं, जैसे मंदिर से सुबह-सुबह भजन, मस्जिद से अजान, माता का जागरण, मुहर्रम का जुलूस, आदि। इससे पता चलता है कि मेरे आस-पड़ोस में हर किसी को अपना धर्म अपने तरीके से मानने की पूरी छूट है।
प्रश्न 2: अगर किसी धर्म के लोग यह कहते हैं कि उनका धर्म नवजात शिशुओं को मारने की छूट देता है तो क्या सरकार किसी तरह का दखल देगी या नहीं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण बताइए।
उत्तर: इस मामले में सरकार को बिलकुल दखल देना चाहिए। जब धर्म की गलत व्याख्या के कारण समाज या किसी व्यक्ति को नुकसान होता है तो सरकार को उस नुकसान को रोकने के लिए हर जरूरी कदम उठाने चाहिए।
धार्मिक कुरीतियों के खत्म होने से ही समाज में सुधार आते हैं। इसे समझने के लिए हम सती प्रथा का उदाहरण ले सकते हैं। इस प्रथा के अनुसार, जब किसी स्त्री के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उसे अपने पति के शव के साथ जला दिया जाता था। राजा राममोहन राय के अथक प्रयासों के कारण इस कुप्रथा का अंत हुआ। वह तब संभव हो पाया जब उस समय की अंग्रेजी सरकार ने इस कुप्रथा के खिलाफ कानून बनाए। यह धार्मिक मामलों में सरकार के दखल का अच्छा उदाहरण है।
प्रश्न 3: इस तालिका को पूरा कीजिए
उत्तर:
उद्देश्य | यह महत्वपूर्ण क्यों है? | इस उद्देश्य के उल्लंघन का एक उदाहरण |
---|---|---|
एक धार्मिक समुदाय दूसरे समुदाय पर वर्चस्व नहीं रखता | बहुसंख्यक समुदाय की निरंकुशता रोकने के लिए | बहुसंख्य समुदाय कई बार अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक अनुष्ठानों में बाधा डालने की कोशिश करता है |
राज्य न तो किसी धर्म को थोपता है और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनता है | धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए | पाकिस्तान को एक इस्लामिक देश घोषित किया गया है |
एक ही धर्म के कुछ लोग अपने ही धर्म के दूसरे लोगों को न दबाएँ | एक ही समुदाय में बहुसंख्यक निरंकुशता को रोकने के लिए | कई बार ऊँची जाति के लोग पिछड़ी जाति के लोगों पर यातनाएँ करते हैं। |
प्रश्न 4: अपने स्कूल की छुट्टियों के वार्षिक कैलेंडर को देखिए। उनमें से कितनी छुट्टियाँ विभिन्न धर्मों से संबंधित हैं? इससे क्या संकेत मिलता है?
उत्तर: कैलेंडर में हिंदू त्योहारों (होली, दिवाली, दशहरा, आदि), मुस्लिम त्योहारों (ईद, बकरीद, मुहर्रम), इसाई त्योहारों (क्रिसमस, गुड फ्राइडे), सिख त्योहारों (गुरुपरब), आदि की छुट्टियाँ लिखी हुई हैं। इससे पता चलता है कि स्कूल प्रशासन हर धर्म को बराबर सम्मान देता है।
प्रश्न 5: एक ही धर्म के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोणों के कुछ उदाहरण दें?
उत्तर: हिंदू धर्म में अलग-अलग मतों के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं:
- कुछ लोग शिव की पूजा करते हैं
- कुछ लोग विष्णु की पूजा करते हैं
- दशहरा के समय बंगाल, असम और बिहार में दुर्गा की पूजा पूरी भव्यता के साथ होती है।
- दिल्ली और आस पास के इलाके में दशहरे के अवसर पर रामलीलाएँ होती हैं और रावण दहन होता है।
प्रश्न 6: भारतीय राज्य धर्म से फासला भी रखता है और उसमें हस्तक्षेप भी करता है। यह उलझाने वाला विचार लग सकता है। इस पर कक्षा में एक बार फिर चर्चा कीजिए। चर्चा के लिए इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के अलावा आप अपनी जानकारी के अन्य उदाहरणों का भी सहारा ले सकते हैं।
उत्तर: भारतीय राज्य लोगों के धार्मिक मतों और धार्मिक क्रियाकलापों में कोई दखल नहीं देता है और उन सबसे दूरी बनाए रखता है। लेकिन जब कोई धर्म के नाम पर सामाजिक तानेबाने को छेड़ने की कोशिश करता है तो राज्य उसमें दखल देता है। इस तरह से राज्य धर्म के प्रति एक संतुलित रवैया अपनाता है। इसके आपको कई उदाहरण मिल जाएँगे। कई बार रामनवमी (हिंदू त्योहार) और मुहर्रम (मुस्लिम त्योहार) एक ही तारीख को पड़ जाते हैं। ऐसे में विकट समस्या उठ खड़ी होती है। हिंदुओं की मांग होती है कि रामनवमी के जुलूस को मुसलमानों के मुहल्ले से ला जाएंगे। वहीं दूसरी ओर, मुसलमानों की मांग होती है कि मुहर्रम का जुलूस हिंदुओं के मुहल्ले से ले जाएंगे। ऐसे में प्रशासन को बड़ी सावधानी से काम लेना होता है ताकि त्योहार के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो जाए और सामाजिक सौहार्द्र बना रहे।