जंतुओं में जनन
भ्रूण का विकास
मादा जनन तंत्र में यह काम निम्नलिखित चरणों में संपन्न होता है।
- हर महीने किसी एक अंडाशय से एक अंडाणु बाहर निकलता है और फैलोपियन ट्यूब में पहुँचता है।
- शुक्राणु भारी संख्या में फैलोपियन ट्यूब तक पहुँचते हैं और उनमें से एक शुक्राणु द्वारा अंडाणु का निषेचन होता है। निषेचन के बाद युग्मनज (जाइगोट) बनता है।
- जाइगोट में कई बार कोशिका विभाजन होता है जिसके बाद यह कई कोशिकाओं से बनी गेंद बन जाता है।
- कोशिकाओं से बनी यह गेंद गर्भाशय में पहुँच जाती है जहाँ यह गर्भाशय की दीवार में रोपित हो जाती है। इस प्रक्रिया को गर्भाधान कहते हैं। गर्भादान से ही गर्भावस्था की शुरुआत होती है। गर्भाधान से पहले कोशिकाओं से बनी संरचना में अलग अलग प्रकार के ऊतक बन जाते हैं और फिर इसे भ्रूण कहते हैं।
- समय बीतने के साथ भ्रूण में विभिन्न अंग बनते हैं और यह विकसित होकर शिशु बन जाता है।
गर्भकाल (जेस्टेशन): गर्भाधान से लेकर शिशु के जन्म की अवधि को गर्भकाल कहते हैं। मानव में गर्भकाल 40 सप्ताह का होता है।
गर्भ (फीटस): जब भ्रूण का विकास इतना हो जाता है कि यह मानव की तरह दिखने लगता है तो इसे फीटस कहते हैं। इस अवस्था में विभिन्न बाहरी अंग, जैसे कि पैर, हाथ, सिर, आँखें, आदि साफ-साफ दिखने लगते हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन: जिस जैविक क्रिया को प्रयोगशाला में संपन्न किया जाता है उसे इन विट्रो कहते हैं। इसलिए, प्रयोगशाला में होने वाले निषेचन को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहते हैं। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के बाद जाइगोट को गेंद वाली अवस्था तक विकसित होने दिया जाता है। उसके बाद उसे गर्भाशय में निरोपित किया जाता है। कुछ समस्याओं के कारण कई औरतों में गर्भाधान नहीं हो पाता है और वे माँ बनने के सुख से वंचित रह जाती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक वरदान साबित होता है।
मुर्गी में अंडे के कवच का बनना
आप जानते हैं कि पक्षी और कई अन्य जंतु अंडे देते हैं। इन जंतुओं के अंडों के ऊपर कैल्सियम कार्बोनेट से बना एक कवच होता है। जब जाइगोट फैलोपियन ट्यूब से नीचे उतरता है तो इसमें कई बार कोशिका विभाजन होता है। इस दौरान जाइगोट के चारों ओर कई परतें बन जाती हैं। यही परतें बाद में विकसित होकर कठोर कवच बनाती हैं। कवच के पूरी तरह बन जाने के बाद ही मुर्गी अंडे देती है। अंडे के भीतर भ्रूण को पूरी तरह विकसित होकर चूजा बनने में 3 सप्ताह का समय लगता है।
अंडप्रजक जंतु: जो जंतु अंडे देते हैं उन्हें अंडप्रजक या ओवीपेरस कहते हैं। उदाहरण: पक्षी और अधिकतर सरीसृप।
जरायुज जंतु: जो जंतु शिशु को जन्म देते हैं उन्हें जरायुज या वाइवीपेरस कहते हैं। उदाहरण: अधिकतर स्तनधारी और कुछ मछली।
कायांतरण: कुछ जंतुओं में नवजात और वयस्क दिखने में एक दूसरे से काफी अलग होते हैं। ऐसे जंतुओं में नवजात से वयस्क बनने की प्रक्रिया को कायांतरण या मेटामॉर्फोसिस कहते हैं। जैसे मेढ़क का नवजात (टैडपोल) कायांतरिक होकर वयस्क मेढ़क बन जाता है। टैडपोल की पूँछ होती है जबकि वयस्क मेढ़क की पूँछ नहीं होती है।
अलैंगिक जनन के प्रकार
मुकुलन
इस विधि से उन बहुकोशिक जंतुओं में जनन होता है जिनकी संरचना सरल होती है। इस प्रक्रिया में शरीर पर एक छोटा सा उभार बनता है जिसे मुकुल कहते हैं। धीरे धीरे यह मुकुल विकसित होता है और अपनी माता की तरह दिखने लगता है। उसके बाद यह अपनी माता के शरीर से अलग होकर एक स्वतंत्र व्यष्टि बन जाता है। उदाहरण: हाइड्रा और स्पॉन्ज।
द्विखंडन
इस विधि से एककोशिक जंतु में जनन होता है, जैसे कि अमीबा। अमीबा एककोशिक जंतु है। सबसे पहले अमीबा का न्यूक्लियस विभाजित होकर दो न्यूक्लियस बनाता है। उसके बाद पूरी कोशिका का विभाजन होता है और दो अमीबा बन जाते हैं।