विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव
सुचालक: जिन पदार्थों से होकर इलेक्ट्रिक करेंट आसानी से प्रवाहित होती है उन्हें विद्युत धारा का सुचालक कहते हैं। उदाहरण: लोहा, ताँबा, चाँदी, एल्युमिनियम, सोना, आदि।
हीन चालक: जिन पदार्थों से होकर इलेक्ट्रिक करेंट का प्रवाह आसानी से नहीं होता है उन्हें इलेक्ट्रिक करेंट का हीन चालक कहते हैं। उदाहरण: रबड़, लकड़ी, एस्बेस्टस, प्लास्टिक, आदि।
लेड (LED): एल ई डी का विस्तृत नाम है लाइट एमिटिंग डायोड। यह एक काँच की कैप्सूल के भीतर रहता है जिससे दो तार या लीड बाहर निकले होते हैं। एक लीड दूसरे से थोड़ी लम्बी होती है। एल ई डी की खासियत है कि यह कमजोर करेंट रहने पर भी जलता है और रोशनी देता है।
इलेक्ट्रिक करेंट का ऊष्मीय प्रभाव: जब किसी चालक से इलेक्ट्रिक करेंट बहती है तो चालक का तापमान बढ़ जाता है। इस प्रभाव को इलेक्ट्रिक करेंट का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं। कई इलेक्ट्रिकल एप्लाएंस इलेक्ट्रिक करेंट के ऊष्मीय प्रभाव के कारण काम करते हैं। उदाहरण: बल्ब, वाटर हीटर, इलेक्ट्रिक आयरन, आदि।
इलेक्ट्रिक करेंट का चुम्बकीय प्रभाव: जब किसी चालक से इलेक्ट्रिक करेंट बहती है तो उस चालक के आस पास चुम्बकीय क्षेत्र बन जाता है। इस प्रभाव को इलेक्ट्रिक करेंट का चुम्बकीय प्रभाव कहते हैं। इस प्रभाव को आप किसी चालक (जिससे इलेक्ट्रिक करेंट बह रही हो) के नजदीक एक चुम्बकीय कम्पास रखकर देख सकते हैं। जब चालक से इलेक्ट्रिक करेंट बहती है तो कम्पास में विक्षेप होता है यानि कम्पास की सुई अपनी जगह से हिल जाती है। इलेक्ट्रिक करेंट के चुम्बकीय प्रभाव पर काम करने वाले उपकरणों के उदाहरण हैं, इलेक्ट्रिक मोटर और इलेक्ट्रोमैगनेट।
द्रव जो इलेक्ट्रिक के सुचालक हैं: कुछ द्रवों से होकर विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होती है। उदाहरण: नल का पानी, नींबू का रस, सिरका, नमक का घोल, आदि। जो द्रव इलेक्ट्रिक करेंट के सुचालक होते हैं उनमें से अधिकतर किसी एसिड, बेस या साल्ट के घोल होते हैं।
द्रव जो इलेक्ट्रिक के हीन चालक हैं: डिस्टिल्ड वाटर, शहद, दूध, तेल, आदि।
सामान्य जल में कुछ न कुछ लवण मौजूद होते हैं। इसलिए सामान्य जल विद्युत का सुचालक होता है। इसलिए कभी भी गीले हाथों से बिजली के उपकरणों को या स्विच को छूना नहीं चाहिए।
इलेक्ट्रिक करेंट का रासायनिक प्रभाव
1800 में विलियम निकॉल्सन नाम के एक अंग्रेज वैज्ञानिक दिखाया कि जब पानी में इलेक्ट्रोड को रखा गया और इलेक्ट्रिक करेंट प्रवाहित की गई तो ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के बुलबुले बनने लगे। ऑक्सीजन के बुलबुले पॉजिटिव टर्मिनल पर बने और हाइड्रोजन के बुलबुले नेगेटिव टर्मिनल पर बने। इस तरह पता चला कि जब किसी द्रव से विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो द्रव में रासायनिक परिवर्तन होता है। इलेक्ट्रिक करेंट के इस प्रभाव को इलेक्ट्रिक करेंट का रासायनिक प्रभाव कहते हैं। इसके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
- इलेक्ट्रोड पर गैस के बुलबुले बनना
- इलेक्ट्रोड पर धातु की परत चढ़ना
- विलयन के रंग में बदलाव
इलेक्ट्रोप्लेटिंग
विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव द्वारा किसी पदार्थ पर किसी मेटल की परत चढ़ाने की क्रिया को इलेक्ट्रोप्लेटिंग या विद्युत लेपन कहते हैं। इलेक्ट्रोप्लेटिंग निम्नलिखित चरणों में की जाती है।
- जिस पदार्थ पर किसी धातु की परत चढ़ानी होती है उसे नेगेटिव इलेक्ट्रोड या कैथोड बनाया जाता है।
- जिस धातु की परत चढ़ानी होती है उसे पॉजिटिव इलेक्ट्रोड या एनोड बनाया जाता है।
- जिस धातु की परत चढ़ानी होती है उसके लवण (साल्ट) के घोल को इलेक्ट्रोलाइट (सुचालक विलयन) बनाया जाता है।
- इलेक्ट्रोलाइट से होकर इलेक्ट्रिक करेंट प्रवाहित की जाती है।
- जिस धातु की परत चढ़ानी होती है वह एनोड से अलग हो जाती है और कैथोड पर जमा हो जाती है।
इलेक्ट्रोप्लेटिंग के उपयोग
- नकली जेवर पर सोने या चाँदी की परत चढ़ाई जाती है।
- किसी चीज पर क्रोमियम की परत चढ़ाने की क्रिया को क्रोम प्लेटिंग कहते हैं। साइकिल, मोटरसाइकिल के कई हिस्सों पर और बाथरूम फिटिंग पर क्रोम प्लेटिंग की जाती है जिससे वे चमकदार दिखते हैं।
- टिन कैन बनाने के लिए लोहे के कैन पर टिन की परत चढ़ाई जाती है। लोहे की तुलना में टिन बहुत कम अभिक्रियाशील होता है। इसलिए टिन कैन में खाने की चीजें रखना सुरक्षित होता है।
- किसी पदार्थ पर जिंक (जस्ता) की परत चढ़ाने की क्रिया को एनोडाइजिंग कहते हैं। बिजली के खंभे और पुलों के लिए इस्तेमाल होने वाले लोहे पर जिंक की परत चढ़ाई जाती है। इससे जंग की रोकथाम होती है। इससे कोरोजन की भी रोकथाम होती है।
इलेक्ट्रोप्लेटिंग से नुकसान: इलेक्ट्रोप्लेटिंग की प्रक्रिया में कई हानिकारक रसायन बनते हैं। इन रसायनों का निबटान एक बड़ी समस्या होती है। इनसे जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण का खतरा रहता है।