8 विज्ञान

आवेशों का आकर्षण

पदार्थ इलेक्ट्रिक न्यूट्रल होते हैं

आमतौर पर हर पदार्थ प्राकृतिक रूप से इलेक्ट्रिक न्यूट्रल होते हैं, यानि उनपर कोई आवेश या चार्ज नहीं रहता है।

इसे समझने के लिए परमाणु संरचना को याद कीजिए। एक परमाणु, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है। इलेक्ट्रॉन पर नेगेटिव चार्ज, प्रोटॉन पर पॉजिटिव चार्ज और न्यूट्रॉन पर कोई चार्ज नहीं होता है।

परमाणु में इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटॉन की संख्या के बराबर होती है। इसका मतलब है कि परमाणु में नेगेटिव चार्ज की संख्या पॉजिटिव चार्ज के बराबर होती है, यानि दोनों एक दूसरे को बैलेंस कर देते हैं। इसलिए अधिकतर चीजें प्राकृतिक रूप से इलेक्ट्रिक न्यूट्रल होते हैं।

चार्ज का ट्रांसफर

जब कुछ वस्तुओं को किसी अन्य वस्तु से रगड़ा जाता है तो एक वस्तु से दूसरी वस्तु तक इलेक्ट्रॉन का ट्रांसफर हो सकता है।

यदि किसी वस्तु से इलेक्ट्रॉन निकल जाते हैं तो उसके पास प्रोटॉन की अतिरिक्त संख्या होगी। ऐसी वस्तु धनावेशित हो जाएगी, यानि उस पर पॉजिटिव चार्ज आ जाएगा।

यदि किसी वस्तु को अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन मिल जाते हैं तो वह ऋणावेशित हो जाएगी, यानि उस पर नेगेटिव चार्ज आ जाएगा।

चार्ज के इस तरह के आदान प्रदान के कारण किसी भी चीज पर स्थैतिक विद्युत (स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी) चार्ज बन जाता है। इस तरह के मामले में इलेक्ट्रिक चार्ज का प्रवाह नहीं होता है इसलिए इसे स्थैतिक विद्युत कहते हैं। स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी के कारण तड़ित की घटना होती है यानि बिजली गिरती है।

आवेशों की परस्पर क्रिया

जब काँच की एक छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ा जाता है तो दोनों आवेशित हो जाते हैं। परिपाटी के अनुसार, काँच पर पॉजिटिव चार्ज और रेशम पर नेगेटिव चार्ज मान लिया जाता है। आवेशों की परस्पर क्रिया के बारे में नीचे दिया गया है।

एक आवेशित वस्तु किसी अनावेशित वस्तु को आकर्षित करती है

जब आप प्लास्टिक की रीफिल को ऊनी कपड़े से रगड़ते हैं तो रीफिल आवेशित हो जाती है। जब आप इस रीफिल को कागज के टुकड़ों के पास ले जाएंगे तो कागज के टुकड़े रीफिल की तरफ आकर्षित होंगे।

Charged comb attracting bits of paper

एक कंघी लीजिए और उसे अपने बालों में तेजी से फेरिए। आप के बाल पूरी तरह से सूखे होने चाहिए। अब कंघी को कागज के टुकड़ों के पास लाइए। आप देखेंगे कि कागज के टुकड़े कंघी में चिपक जाते हैं। इससे पता चलता है कि एक आवेशित वस्तु किसी अनावेशित वस्तु को आकर्षित करती है।

समान आवेश एक दूसरे को विकर्षित करते हैं

Interaction of like charges

इसे समझने के लिए एक काम कीजिए। प्लास्टिक की दो गेंदें लीजिए और उन्हें एक दूसरे के नजदीक लटका दीजिए। अब एक काँच की छड़ को रेशम से रगड़कर आवेशित कीजिए। इस छड़ से दोनों गेंदों को छू दीजिए। आप देखेंगे कि दोनों गेंदें एक दूसरे से दूर चली जाती हैं। इससे पता चलता है कि समान आवेश एक दूसरे को विकर्षित करते हैं।

विपरीत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं

Interaction of unlike charges

इसे समझने के लिए एक काम कीजिए। प्लास्टिक की दो गेंदों को एक दूसरे के नजदीक लटका दीजिए। काँच की एक छड़ को रेशम से रगड़िए। अब एक गेंद को काँच की छड़ से छुइए और दूसरी गेंद को रेशम के कपड़े से। आप देखेंगे कि दोनों गेंदें एक दूसरे की तरफ चली जाती हैं। इससे पता चलता है कि विपरीत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

इलेक्ट्रोस्कोप

यह एक सरल उपकरण है जिससे किसी वस्तु के आवेश की जाँच की जा सकती है। सोने के पत्ते वाले इलेक्ट्रोस्कोप को अब्राहम बेनेट नाम के एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने 1787 में बनाया था। सोना और चाँदी, बिजली के सबसे अच्छे सुचालक होते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रोस्कोप में किया जाता है।

इलेक्ट्रोस्कोप की रचना

Structure of Electroscope

यह काँच की जार से बना होता है। जार के मुँह पर कॉर्क लगा होता है और कॉर्क से होकर पीतल की खड़ी छड़ लगी होती है। इस छड़ के ऊपर पीतल की क्षैतिज छड़ या फिर एक डिस्क लगी होती है। जार के भीतर, पीतल की छड़ से सोने की दो पत्तियाँ लटकी रहती हैं।

इलेक्ट्रोस्कोप का काम

जब किसी आवेशित वस्तु से इलेक्ट्रोस्कोप के ऊपर लगी पीतल की डिस्क को छुआ जाता है तो चार्ज का ट्रांसफर पीतल की छड़ से होते हुए सोने की पत्तियों तक होता है। अब चूँकि दोनों पत्तियों पर एक जैसा चार्ज होता है इसलिए सोने की पत्तियाँ एक दूसरे से दूर चली जाती हैं।

चार्जिंग

एक वस्तु से दूसरे वस्तु में चार्ज के ट्रांसफर की क्रिया को चार्जिंग कहते हैं। सोने की पत्तियों में आने वाला आवेश पीतल की छड़ से होकर आया। इसलिए, यह साफ है कि किसी धातु से होकर चार्जिंग हो सकती है।

इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज

पिछले प्रयोग में, थोड़ी देर बाद सोने की पत्तियाँ वापस अपनी सामान्य स्थिति में आ जाती हैं। सोने की पत्तियों का चार्ज खत्म होने के कारण ऐसा होता है। किसी आवेशित वस्तु से चार्ज के खत्म होने को इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज कहते हैं। जब कोई पीतल की रॉड को छूता है तब भी सोने की पत्तियाँ डिस्चार्ज हो जाती हैं। दरअसल, चार्ज का ट्रांसफर मानव शरीर से होकर पृथ्वी में हो जाता है। किसी आवेशित वस्तु से पृथ्वी तक चार्ज के ट्रांसफर को अर्थिंग कहते हैं।