ज्वाला
आग के गैसीय और दिखाई देने वाले हिस्से को ज्वाला कहते हैं। जब किसी पदार्थ की वाष्प का दहन होता है तो ज्वाला निकलती है। दहन के दौरान जिस पदार्थ का वाष्पीकरण नहीं होता है उनसे कोई ज्वाला नहीं निकलती है।
ज्वाला के विभिन्न क्षेत्र
ज्वाला के तीन क्षेत्र होते हैं:
- बाह्य क्षेत्र
- मध्य क्षेत्र
- आंतरिक क्षेत्र
बाह्य क्षेत्र: इस क्षेत्र का रंग नीला होता है। यह ज्वाला का सबसे अधिक गर्म भाग होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में पूर्ण दहन होता है।
मध्य क्षेत्र: इस क्षेत्र का रंग पीला और नारंगी होता है। यह मध्यम रूप से गर्म होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में आंशिक दहन होता है।
आंतरिक क्षेत्र: यह क्षेत्र गहरे रंग का होता है। यह क्षेत्र सबसे अधिक ठंडा होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में दहन नहीं होता है।
ईंधन दक्षता
ईंधन की दक्षता को ऊष्मीय मान में मापा जाता है। किसी ईंधन के 1 किग्रा के दहन से उत्पन्न होने वाली ऊष्मा की मात्रा को उस ईंधन का ऊष्मीय मान कहते हैं। इसका मात्रक है किलो जूल प्रति किलोग्राम (kJ/kg).
कुछ ईंधन के ऊष्मीय मान
ईंधन | ऊष्मीय मान (kJ/kg) |
---|---|
गोबर के उपले | 6000 – 8000 |
लकड़ी | 17000 – 22000 |
कोयला | 25000 – 33000 |
पेट्रोल | 45000 |
केरोसीन | 45000 |
डीजल | 45000 |
मीथेन | 50000 |
सीएनजी | 50000 |
एलपीजी | 55000 |
बायोगैस | 35000 – 40000 |
हाइड्रोजन | 150000 |
ईंधन को जलाने से नुकसान
- कार्बन-युक्त ईंधन को जलाने से कार्बन के अनजले कण निकलते हैं। इन कणों से सांस की बिमारियाँ हो सकती हैं।
- अधिकतर ईंधन को जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है। कम सांद्रता में भी यह एक जहरीली गैस है। इसलिए कोयले को कभी भी बंद कमरे में नहीं जलाना चाहिए।
- अधिकतर ईंधन को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है। वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड के बढ़े हुए स्तर के कारण ग्लोबल वार्मिंग होती है।
- कोयले और डीजल को जलाने से सल्फर डाईऑक्साइड निकलता है। पेट्रोल को जलाने से नाइट्रोजन के ऑक्साइड बनते हैं। सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड जब वर्षा के जल से मिलते हैं तो अम्ल बनाते हैं। इससे अम्लीय वर्षा होती है। अम्लीय वर्षा जंतुओं, पादपों और भवनों के लिए नुकसानदेह साबित होती है।