ध्वनि
कम्पन के लक्षण
कम्पन को दोलन या दोलन गति भी कहते हैं। कम्पन के कुछ लक्षण होते हैं जो नीचे दिए गए हैं।
आवृत्ति (Frequency)
इकाई समय में होने वाले दोलनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं। आवृत्ति को हर्ज या Hertz (Hz) में व्यक्त किया जाता है। जब कोई वस्तु एक सेकंड में एक बार कम्पन करती है तो उसकी आवृत्ति 1 Hz होती है।
आयाम (Amplitude)
किसी भी तरंग की माध्य स्थिति से दोनों तरफ अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते हैं। यानि आयाम से यह पता चलता है कि कोई कम्पन करने वाली वस्तु माध्य स्थिति से कितनी दूर तक जाती है।
ध्वनि की तीव्रता
आवाज तेज है या धीमी यह इस बात पर निर्भर करता है कि कम्पन का आयाम क्या है। आयाम बढ़ने के साथ आवाज की तीव्रता बढ़ जाती है। तेज आवाज का आयाम अधिक होता है जबकी धीमी आवाज का आयाम कम होता है। ध्वनि की तीव्रता को डेसिबेल में व्यक्त करते हैं। कुछ आवाजों की तीव्रता को नीचे दिए गए टेबल में दिखाया गया है।
ध्वनि | तीव्रता |
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सांस लेना | 10 dB |
फुसफुसाकर बात करना | 30 dB |
सामान्य बातचीत | 60 dB |
व्यस्त ट्रैफिक | 70 dB |
कारखाने की आवाज | 80 dB |
80 dB से अधिक का शोर हमारे शरीर के लिए कष्टकारी होता है।
तारत्व (Pitch)
किसी आवाज का तारत्व उसकी आवृत्ति पर निर्भर करता है। अधिक आवृत्ति का मतलब है ऊँचा तारत्व, जबकि कम आवृत्ति का मतलब है कम तारत्व। महिलाओं और बच्चों की आवाज ऊँचे तारत्व वाली होती है।
श्रव्य और अश्रव्य ध्वनि
हमारे कान हर आवाज को नहीं सुन सकते हैं। मनुष्य के कान 20 Hz और 20,000 Hz की आवृत्ति के बीच की आवाज ही सुन पाते हैं। आवृत्ति की इस रेंज को मनुष्य का श्रवण प्रसार (हीयरिंग रेंज) कहते हैं। 20 Hz से कम आवृत्ति वाली ध्वनि को इंफ्रासाउंड कहते हैं। 20,000 Hz से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि को अल्ट्रासाउंड कहते हैं।
संगीत और शोर: कानों को मधुर लगने वाली ध्वनि को संगीत कहते हैं। कान को कर्कश लगने वाली ध्वनि को शोर कहते हैं।
ध्वनि प्रदूषण
वातावरण में अत्यधिक शोर को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। कारों, ट्रकों, फैक्ट्री, तेज संगीत, भवन निर्माण, पटाखे, आदि से ध्वनि प्रदूषण फैलता है।
ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव
लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के असर के कारण अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, चिंता और कई अन्य परेशानियाँ होती हैं। कभी कभी ध्वनि प्रदूषण के कारण सुनने की शक्ति भी खराब हो जाती है।
ध्वनि प्रदूषण कम करने के उपाय
- गाड़ियों में साइलेंसर लगाने से इंजन की आवाज कम जाती है।
- फैक्ट्री को हमेशा आवासीय क्षेत्र से दूर बनाना चाहिए।
- सड़क के किनारे पेड़ लगाने से ध्वनि प्रदूषण कम होता है।
- फ्लाईओवर पर साउंड बैरियर लगाए जाते हैं।