फसल उत्पादन एवं प्रबंधन
बुआई
जुताई के बाद खेत में बीज बोए जाते हैं। बुआई से पहले किसान खराब बीजों को अलग कर लेता है। बीजों को उचित दूरी पर और गहराई में बोना जरूरी होता है। इससे पौधों को सही मात्रा में सूर्य की रोशनी, नमी, हवा और पोषक मिलते हैं। बुआई के कई तरीके हो सकते हैं।
बीज छींटना
बुआई का यह एक परंपरागत तरीका है। इसके लिए किसान अपने हाथों में बीज लेकर उनका छिड़काव करते हैं। छोटे खेत के लिए यह एक कारगर तरीका है।
परंपरागत सीड ड्रिल
यह एक कीप से बना होता है जिसकी गर्दन लंबी और नुकीली होती है। सीड ड्रिल को हल के शाफ्ट से लगा देते हैं। जब जुताई होती है तो कीप में से बीज धीरे-धीरे नीचे गिरते रहते हैं। सीड ड्रिल की नुकीली नली मिट्टी में अंदर तक जाती है जिससे बीज गहराई तक चले जाते हैं। बड़े खेत पर बुआई के लिए यह एक कारगर तरीका है।
आधुनिक सीड ड्रिल
यह लोहे की फ्रेम से बना होता है जिसमें ऊपर लगे बड़े से बरतन में से कई पाइप निकली होती हैं। इन पाइपों से होकर बीज धीरे-धीरे नीचे गिरते रहते हैं। इस मशीन को ट्रैक्टर की मदद से खींचा जाता है।
खाद और उर्वरक
हम जानते हैं कि पौधे अपना पोषक मिट्टी से लेते हैं। इसलिए समय बीतने के साथ मिट्टी में पोषक समाप्त हो जाते हैं। इन पोषकों की कमी को पूरा करने के लिए खाद और उर्वरक डालने की जरूरत पड़ती है।
खाद:
जैव कचरे के विघटन से खाद तैयार होती है। किसान कई तरह के कचरे को खेत में डाल देता है। विघटन के काम को तेज करने के लिए कचरे के ऊपर मिट्टी की एक परत डाल दी जाती है। विघटन का काम सूक्ष्मजीव करते हैं। केंचुओं की मदद से इस काम में और तेजी आती है। खाद बनाने के लिए कम्पोस्ट पिट भी बनाया जाता है।
खाद के फायदे:
- खाद से मिट्टी में पोषक की मात्रा बढ़ती है।
- इससे मिट्टी का गठन सही हो जाता है।
- इससे मिट्टी की पानी रोकने की क्षमता बढ़ जाती है।
- यह हानिकारक पदार्थों से मुक्त होता है और पर्यावरण के लिए सही होता है।
उर्वरक:
उर्वरक रसायन होते हैं जिनमें कोई विशेष पादप पोषक होता है। उर्वरक को फैक्ट्री में बनाया जाता है। एक उर्वरक में एक या अधिक पोषक हो सकते हैं। उदाहरण: यूरिया, अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट, पोटाश और एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम)।
उर्वरक के फायदे:
- खाद की तुलना में उर्वरक अधिक तेजी से काम करता है।
- उर्वरक से खेत की पैदावार में अच्छी बढ़ोतरी होती है।
उर्वरक के नुकसान:
- उर्वरक के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।
- उर्वरक में मौजूद हानिकारक रसायन से मिट्टी और भौमजल का प्रदूषण होता है।
मिट्टी में पोषक बढ़ाने के अन्य तरीके:
परती खेत: जब खेत को एकाध मौसम के लिए खाली छोड़ दिया जाता है तो इसे परती खेत कहते हैं। खेत को खाली छोड़ने से मिट्टी को इतना समय मिल जाता है कि प्राकृतिक तरीके से पोषकों की कमी पूरी हो जाती है।
फसल चक्रण: इस तरीके का इस्तेमाल किसान सदियों से कर रहे हैं। इस तरीके में दो अनाज की फसलों के बीच एक दलहन की फसल उगाई जाती है। दलहन या फलीदार पौधों या लेग्यूमिनस पौधों की जड़ों की गाँठों में राइजोबियम बैक्टीरिया रहते हैं। ये बैक्टीरिया मिट्टी में वायुमंडलीय नाइट्रोजन के फिक्सेशन में मदद करते हैं। इस तरह दलहन की फसल लगाने से मिट्टी में पोषक की कमी पूरी हो जाती है।