हमारे आस पास के बाजार
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
फेरीवाला | दुकानदार |
---|---|
दुकान पक्की नहीं होती है। | दुकान पक्की होती है। |
घूम घूमकर सामान बेचता है। | एक ही स्थान पर रहकर सामान बेचता है। |
अक्सर अकेले काम करता है। | कुछ श्रमिक भी रखता है। |
किराया, बिजली बिल और सरकारी शुल्क का खर्चा नहीं आता है। | किराया, बिजली बिल और सरकारी शुल्क के खर्चे आते हैं। |
प्रश्न 2: निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाजार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाजार | बेची जाने वाली वस्तुओं के प्रकार | वस्तुओं का मूल्य | विक्रेता | ग्राहक |
---|---|---|---|---|
साप्ताहिक बाजार | रोजमर्रा की जरूरत की साधारण चीजें | कम | कम पूँजी वाला | निम्न आर्थिक वर्ग से |
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स | आराम और विलासिता की वस्तुएँ | अधिक | अधिक पूँजी वाला | मध्यम और उच्च वर्ग से |
प्रश्न 3: स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंखला कैसे बनती है? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है?
उत्तर: कोई सामान जब कारखाने से तैयार होने के बाद ग्राहक तक पहुँचता है तो बीच में वह कई हाथों से गुजरता है और हर चरण में विनिमय होते हैं। विनिमय की इस श्रृंखला को बाजारों की श्रृंखला कहते हैं। उत्पादक और ग्राहक के बीच अलग-अलग स्तर पर खरीद बिक्री करने वाले, व्यापारी कहलाते हैं। इन व्यापारियों के कारण उत्पाद आसानी से फैक्टरी से ग्राहक तक पहुँच जाते हैं। इससे उत्पादक और ग्राहक दोनों के लिए सहूलियत होती है।
प्रश्न 4: सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है? उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर: कई लोग ऐसे होते हैं जो साप्ताहिक बाजार में बिकने वाले सामान भी मुश्किल से खरीद पाते हैं। दूसरी, कई लोग ऐसे होते हैं जो मॉल में जाकर महंगी चीजें आराम से खरीद लेते हैं। इससे पता चलता है कि महँगे उत्पादों की दुकानों पर कई लोगों को जाने का अधिकार ही नहीं है। निम्न आर्थिक तबके के अधिकतर लोग ऐसी दुकानों पर पैर रखने की हिम्मत नहीं करते हैं। यदि कोई गलती से पहुँच भी जाए तो शायद उसे दुकान के अंदर जाने की इजाजत न मिले।
प्रश्न 5: बाजार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: लेकिन आज ऐसे भी बाजार बन चुके हैं जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है और जिनसे खरीददारी करने के लिए हमें बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अब हम मोबाइल फोन और इंटरनेट की मदद से घर बैठे शॉपिंग कर सकते हैं। खरीददारी के इस नये रूप को ई-शॉपिंग कहते हैं।