संचार माध्यम
आज संचार माध्यम हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। टेलीविजन, रेडियो, अखबार, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों के लिए संचार माध्यम शब्द का इस्तेमाल होता है। आज सोशल मीडिया हमारे जीवन का अटूट हिस्सा बन गई है।
सोशल मीडिया: कम्प्यूटर की सहायता से चलने वाले ऐसे साधन जिनके द्वारा लोग सूचना और विचार का निर्माण करते हैं, उन्हें साझा करते हैं और उनका आदान प्रदान करते हैं।
मास मीडिया
अंग्रेजी के शब्द मीडियम का बहुवचन है मीडिया। इसका मतलब उन अलग अलग तरीकों से है जिनके द्वारा हम विचारों का आदान प्रदान करते हैं। टेलीविजन, रेडियो, अखबार, इंटरनेट, आदि मीडिया के विभिन्न रूप हैं। इन माध्यमों की सहायता से लाखों लोगों तक पहुँचा जा सकता है इसलिए इन्हें मास मीडिया या जनसंचार माध्यम कहते हैं।
मीडिया और टेक्नॉलोजी
यह टेक्नॉलोजी की देन है कि अखबार, टेलीविजन और रेडियो की पहुँच करोड़ों लोगों तक है। मास मीडिया द्वारा इस्तेमाल होने वाली टेक्नॉलोजी लगातार बदलती रहती है। उदाहरण के लिए, अभी हाल ही में मीडिया के क्षेत्र में केबल टेलीविजन और इंटरनेट की शुरुआत हुई है। इन टेक्नॉलोजी को आए हुए कोई दो दशक ही बीते हैं लेकिन इनका अमिट प्रभाव हर जगह देखने को मिलता है।
मीडिया के प्रकार
मीडिया के मुख्य प्रकार हैं, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया। यह नामकरण विभिन्न टेक्नॉलोजी पर आधारित है जो किसी खास मीडिया में इस्तेमाल होते हैं।
टेक्नॉलोजी में तरक्की के फायदे
- बेहतर पहुँच: टेक्नॉलोजी में तरक्की होने से और मशीनों के आधुनिकीकरण से मीडिया की पहुँच पहले से बेहतर हुई है।
- ध्वनि और चित्रों की क्वालिटी में सुधार।
- हमारी सोच में बदलाव: टेक्नॉलोजी से हमारी सोच में भी बदलाव आता है। जबसे केबल टेलीविजन आया है तब से हम अपने आप को वैश्विक दुनिया का सदस्य समझने लगे हैं। केबल टेलीविजन से हमारी सोच का दायरा बढ़ गया है।
- छोटी होती दुनिया: सैटेलाइट और केबल टेलीविजन की मदद से आज तरह तरह की तस्वीरें तेजी से पूरी दुनिया में पहुँच जाती हैं। अब हम दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली घटना को अपने टेलीविजन या कम्प्यूटर पर बहुत जल्द देख पाते हैं। अधिकतर कार्टून फिल्में अमेरिका या जापान में बनती हैं, लेकिन भारत के अधिकतर बच्चे इन फिल्मों के पात्रों से वाकिफ होते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि हमारी दुनिया छोटी होती जा रही है और हम अधिक पास पास आ रहे हैं।
मीडिया चलाने का खर्च
मीडिया के लिए महँगी टेक्नॉलोजी की जरूरत पड़ती है। टेलीविजन चैनल के लिए महँगे उपकरणों, लाइट, कैमरा, साउंड रिकॉर्डर, आदि की जरूरत पड़ती है। टेलीविजन सिग्नल के प्रेषण के लिए उपग्रहों का किराया देना होता है। मानव संसाधन की टीम के लिए वेतन की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, समय समय पर नई टेक्नॉलोजी अपनाने पर खर्चा होता है। चूँकि मीडिया चलाने में बहुत पैसे खर्च होते हैं इसलिए अधिकतर टेलीविजन चैनल और अखबारों का स्वामित्व बड़े औद्योगिक संस्थानों के हाथों में होता है।