औरतों ने बदली दुनिया
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: आपके विचार से महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, उनके समानता के अधिकार को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर: समानता का अधिकार इस बात पर आधारित है कि हर व्यक्ति एक समान है और हर किसी को अपना जीवन सार्थक बनाने के लिए किसी रोकटोक का सामना न करना पड़े। महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा है कि वे कुछ काम कर सकती हैं लेकिन कुछ काम महिलाओं के लिए नहीं बने हैं। इसलिए कई घरों में महिलाओं को कुछ क्षेत्रों में जाने से रोका जाता है। इससे कई बार प्रतिभा या लगन होने के बावजूद महिलाएँ अपने पसंदीदा क्षेत्र में काम करने से वंचित रह जाती हैं। यह बात उन्हें समानता के अधिकार से किसी न किसी रूप में वंचित करती है।
प्रश्न 2: कोई एक कारण बताइए जिसकी वजह से राससुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इतना महत्वपूर्ण था।
उत्तर: राससुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन उन महिलाओं में से थीं जो जीवन में कुछ बड़ा करना चाहती थीं। ऐसा करने के लिए हौसले के साथ साथ सही ज्ञान का होना भी जरूरी है। जब कोई पढ़ना लिखना सीख लेता है तो उसके लिए ज्ञान प्राप्त करना अधिक सुलभ हो जाता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि इन महिलाओं के लिए अक्षर ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण था। अक्षर ज्ञान के बिना ना तो वे किताबें लिख पातीं और ना ही स्त्री शिक्षा के लिए योगदान दे पातीं।
प्रश्न 3: “निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, क्योंकि शिक्षा में उनकी रुचि नहीं है।“ पृष्ठ 62 पर दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर स्पष्ट कीजिए कि यह कथन सही क्यों नहीं है?
उत्तर: यदि हम जनगणना के आँकड़े को देखें तो पता चलता है कि दलित, आदिवासी और मुसलमान वर्ग में लड़कियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट अधिक है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लड़कियाँ सेकंडरी लेवल के बाद पढ़ाई छोड़ देती हैं। इससे पता चलता है कि पढ़ाई छोड़ने के मुख्य कारण हैं, गरीबी और स्कूलों तथा शिक्षकों की कमी। गरीबी के कारण कई लोग बेटियों की बजाय बेटों की पढ़ाई पर जोर देते हैं। स्कूलों में शौचालय की कमी के कारण भी लड़कियाँ एक खास उम्र के बाद पढ़ाई छोड़ देती हैं। इसलिए यह कहना गलत होगा कि शिक्षा में रुचि न होने के कारण निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई छोड़ देती हैं।
प्रश्न 4: क्या आप महिला आंदोलन द्वारा व्यवहार में लाए जाने वाले संघर्ष के दो तरीकों के बारे में बता सकते हैं? महिलाएँ क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, इस विषय पर आपको रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े, तो आप पढ़े हुए तरीकों में कौन से तरीकों का उपयोग करेंगे? आप किसी विशेष तरीके का उपयोग क्यों करेंगे?
उत्तर: महिला आंदोलन द्वारा संघर्ष के दो तरीके हैं लोक जागरण और विरोध प्रदर्शन। यदि मुझे ऐसा संघर्ष करना पड़े तो मैं लोक जागरण के लिए काम करना पसंद करूँगा। मैं इसके लिए ब्लॉग लिखूँगा और संपादक को पत्र लिखूँगा। मेरा अधिकतर समय पढ़ाई में बीतता है और मेरे उज्ज्वल भविष्य के लिए यह जरूरी भी है। इसलिए मै अभी इस स्थिति में नहीं हूँ कि विरोध प्रदर्शन में भाग ले सकूँ। अपनी व्यस्तता के बावजूद मैं बड़े आराम से लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ब्लॉग लिख सकता हूँ।