उपन्यास समाज और इतिहास
Extra Questions Answers
प्रश्न:1 उपन्यासों के आने से लेखकों को क्या फायदा हुआ?
उत्तर: पाठकों की बढ़ती संख्या के साथ लेखकों की आमदनी भी बढ़ने लगी। इससे लेखकों को अभिजात और कुलीन वर्ग के संरक्षण से आजादी मिली। लेखक अब अधिक स्वतंत्र होकर लिखने लगे। अब लेखक को इस बात की पूरी छूट थी कि वह अपनी लेखन शैली में मनचाहे बदलाव कर सकता था।
प्रश्न:2 उपन्यासों की लोकप्रियता क्यों बढ़ी?
उत्तर: उपन्यासों में चित्रित दुनिया अधिक वास्तविक होती थी और इसलिए विश्वसनीयता की सीमा में आती थी। उपन्यास पढ़ते समय पाठक आसानी से उपन्यास के पात्रों की दुनिया में चला जाता था। उपन्यास ने लोगों को एकांत में पढ़ने की आजादी दी। उपन्यास ने लोगों को इस बात की आजादी भी दी कि वे सार्वजनिक परिवेश में पढ़ सकें और कहानी पर चर्चा कर सकें। लोग अक्सर उपन्यास के चरित्रों के जीवन से अपने आप को आत्मसात कर लेते थे। इसलिये उपन्यास लोकप्रिय होने लगे।
प्रश्न:3 उपन्यासकारों ने महिलाओं के जीवन पर लिखना क्यों शुरु किया?
उत्तर: अठारहवीं सदी में मध्यम वर्ग अधिक संपन्न हो चुका था। महिलाओं को अब खाली समय मिलने लगा जिसका इस्तेमाल वे उपन्यास पढ़ने या लिखने में कर सकती थीं। इसलिये उपन्यासकारों ने महिलाओं के जीवन पर लिखना शुरु किया।
प्रश्न:4 हिंदी में उपन्यास की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का अग्रणी लेखक माना जाता है। उन्होंने अपने संपर्क में रहने वाले कई लेखकों और कवियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया था कि वे अन्य भाषाओं के उपन्यासों का अनुवाद करें। देवकी नंदन खत्री की रचनाओं ने हिंदी में पाठकों का एक बड़ा वर्ग तैयार कर दिया। प्रेमचंद की रचनाओं के साथ ही हिंदी उपन्यास अपने सबसे अच्छे दौर में पहुँच चुका था। प्रेमचंद ने उर्दू में लिखना शुरु किया था और बाद में वे हिंदी पर आ गये।
प्रश्न:5 भारत में महिलाओं और युवाओं को उपन्यास पढ़ने से क्यों रोका जाता था?
उत्तर: कई लोग ऐसा मानते थे कि उपन्यास से लोगों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। इसलिये महिलाओं और बच्चों को अक्सर उपन्यास पढ़ने से रोका जाता था। कई लोग उपन्यास को छुपा कर रखते थे ताकि वे बच्चों के हाथों में न पड़ जाएँ। युवाओं को उपन्यास छुपकर पढ़ना पड़ता था। बूढ़ी औरतें अपने नाती पोतों की मदद से उपन्यास को सुनने का मजा लेती थीं।