औद्योगीकरण का युग
Extra Questions Answers
प्रश्न:1 पूर्व औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: यूरोप में औद्योगीकरण के पहले के काल को पूर्व औद्योगीकरण का काल कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यूरोप में सबसे पहले कारखाने लगने के पहले के काल को पूर्व औद्योगीकरण का काल कहते हैं।
प्रश्न:2 पूर्व औद्योगीकरण के दौरान व्यापारियों ने गाँव पर अधिक ध्यान क्यों दिया?
उत्तर: शहरों में ट्रेड और क्राफ्ट गिल्ड बहुत शक्तिशाली होते थे। इस प्रकार के संगठन प्रतिस्पर्धा और कीमतों पर अपना नियंत्रण रखते थे। वे नये लोगों को बाजार में काम शुरु करने से भी रोकते थे। इसलिये किसी भी व्यापारी के लिये शहर में नया व्यवसाय शुरु करना मुश्किल होता था। इसलिये वे गाँवों की ओर मुँह करना पसंद करते थे।
प्रश्न:3 कारखाने खुलने से क्या लाभ हुए?
उत्तर: कारखानों के खुलने से कई फायदे हुए। श्रमिकों की कार्यकुशलता बढ़ गई। अब नई मशीनों की सहायता से प्रति श्रमिक आधिक मात्रा में और बेहतर उत्पाद बनने लगे। औद्योगीकरण की शुरुआत मुख्य रूप से सूती कपड़ा उद्योग में हुई। कारखानों में श्रमिकों की निगरानी और उनसे काम लेना अधिक आसान हो गया।
प्रश्न:4 औद्योगीकरण के शुरुआती दौर में व्यापारी मशीनों से दूर ही रहना पसंद करते थे। क्यों?
उत्तर: औद्योगीकरण के शुरुआती दौर में व्यापारी मशीनों से दूर ही रहना पसंद करते थे। इसके कारण निम्नलिखित हैं:
- मशीनें महंगी होती थीं और उनके मरम्मत में भी काफी खर्च लगता था।
- आविष्कारकों या निर्माताओं के दावों के विपरीत नई मशीनें बहुत कुशल भी नहीं थीं।
- उस जमाने में श्रमिकों की किल्लत या अधिक पारिश्रमिक जैसी कोई समस्या नहीं थी।
- मशीनों से बनि चीजें हाथ से बनी चीजों की गुणवत्ता और सुंदरता का मुकाबला नहीं कर पाती थीं।
प्रश्न:5 औद्योगीकरण के शुरुआती दौर में शहर में आने वाले श्रमिकों का जीवन कैसा होता था?
उत्तर: शहर में नौकरी मिलना बहुत कठिन होता था। अधिकतर लोगों को साल के कुछ महीने ही काम मिल पाता था। ऐसे लोगों को अक्सर रैन बसेरों या फुटपाथ पर रात गुजारनी होती थी।
प्रश्न:6 महिलाओं ने स्पिनिंग जेनी का विरोध क्यों किया?
उत्तर: महिलाएँ हाथ से कपड़े बुनती थीं। उन्हें डर था कि स्पिनिंग जेनी के आने से उनका रोजगार छिन जायेगा। इसलिये महिलाओं ने स्पिनिंग जेनी का विरोध किया।
प्रश्न:7 गुमाश्ता कौन थे?
उत्तर: गुमाश्ता ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेंट होते थे। गुमाश्ता का काम होता था बुनकरों के काम की निगरानी करना, आने वाले माल का संग्रहण करना और कपड़े की क्वालिटी की जाँच करना। गुमाश्ता किसी भी गाँव के लिये बाहरी आदमी होता था जो सिपाहियों और चपरासियों के साथ आता था और अपनी अकड़ दिखाता था। गुमाश्ता और बुनकरों के बीच अक्सर टकराव होते रहते थे।
प्रश्न:8 जॉबर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: उद्योगपति अक्सर लोगों को काम पर रखने के लिए जॉबर की मदद लेते थे जो किसी प्लेसमेंट कंसल्टेंट की तरह काम करता था। अक्सर कोई पुराना और भरोसेमंद मजदूर जॉबर बन जाता था। जॉबर अक्सर अपने गाँव के लोगों को प्रश्रय देता था। वह उन्हें शहर में बसने में मदद करता था और जरूरत के समय कर्ज भी देता था। इस तरह से जॉबर एक प्रभावशाली व्यक्ति बन गया था। वह लोगों से बदले में पैसे और उपहार माँगता था और मजदूरों के जीवन में भी दखल देता था।
प्रश्न:9 भारत के व्यवसायी सूत के मोटे कपड़े ही क्यों बनाते थे?
उत्तर: भारत के व्यवसायी यहाँ के बाजार में मैनचेस्टर के सामानों से प्रतिस्पर्धा से बचना चाहते थे। इसलिये वे सूत के मोटे कपड़े ही बनाते थे।
प्रश्न:10 पहले विश्व युद्ध का भारत के व्यवसाय पर क्या असर पड़ा?
उत्तर: पहले विश्व युद्ध ने स्थिति बदल दी। ब्रिटेन की मिलें सेना की जरूरतें पूरा करने में व्यस्त हो गईं। इससे भारत में आयात घट गया। भारत की मिलों के सामने एक बड़ा घरेलू बाजार तैयार था। भारत की मिलों को ब्रिटेन की सेना के लिए सामान बनाने के लिए भी कहा गया। इस तरह से घरेलू और विदेशी बाजारों में माँग बढ़ गई। इससे उद्योग धंधे में तेजी आ गई।