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रेगिस्तान में जीवन

लद्दाख रेगिस्तान

लद्दाख एक ठंडा रेगिस्तान है, जो भारत में जम्मू और कश्मीर के पूर्व की ओर हिमालय पर्वतमाला में पड़ता है। लद्दाख के उत्तर में काराकोरम पर्वतमाला है और दक्षिण में जस्कार पर्वत है। लद्दाख से होकर कई नदियाँ बहती हैं, जिनमें से सिंधु नदी सबसे महत्वपूर्ण है। नदियाँ यहाँ गहरी घाटियाँ और महाखड्ढ़ (गॉर्ज) बनाती हैं। लद्दाख में कई हिमनदी भी पाई जाती है, जैसे गंगोत्री। लद्दाख में समुद्रतल से ऊँचाई 3000 मीटर (कारगिल) से 8000 मीटर (काराकोरम) से अधिक होती है।

जलवायु

अधिक ऊँचाई के कारण यहाँ हड्डी जमाने वाली सर्दी पड़ती है और शुष्क परिस्थितियाँ होती हैं। यहाँ की हवा इतनी विरल है कि सूर्य की गर्मी शरीर को छेद देती है। गर्मियों में दिन का तापमान जीरो डिग्री से थोड़ा अधिक रहता है और रात का तापमान -30 डिग्री सेल्सियस रहता है। सर्दियों में तापमान -40 डिग्री रहता है। हिमालय के वृष्टि-छाया क्षेत्र में पड़ने के कारण यहाँ साल में केवल 10 सेमी वर्षा होती है। इस क्षेत्र में खून जमाने वाली पवन चलती है और सूर्य की रोशनी जलाने वाली होती है। यदि कोई आदमी छाया में बैठकर अपना हाथ धूप में रखे तो उसे फ्रोस्टबाइट और सनबर्न एक साथ लग सकता है।

वनस्पतिजात और प्राणीजात

अत्यधिक शुष्क होने के कारण यहाँ नाममात्र की वनस्पति पाई जाती है। घास और झाड़ियों के थोड़े बहुत झुरमुट ही होते हैं जहाँ मवेशियों को चारा मिल पाता है। यहाँ की घाटी में विलो और पॉपलर के बगीचे दिख जाते हैं। गर्मी के मौसम में सेब, खूबानी और अखरोट के पेड़ों पर फूल आते हैं।

यहाँ पर रॉबिन, रेडस्टार, तिब्बती स्नोकॉक, रैवेन और हूपो, जैसी चिड़िया आम हैं। इनमें से कुछ आप्रवासी होती हैं। यहाँ बकरी, जंगली भेड़, याक और विशेष नस्ल के कुत्ते पाए जाते हैं। मांस, दूध, चमड़ा और ऊन के लिए यहाँ के लोग मवेशी पालते हैं।

लद्दाख के लोग

यहाँ के लोग मुस्लिम और बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। लद्दाख में आपको कई बौद्ध मठ अपने परंपरागत गोंपा के साथ दिख जाएँगे। कुछ प्रसिद्ध मठों के नाम हैं: हेमिस, थिकसे, शे और लामायुरू। यहाँ के लोग दिखने में तिब्बत और मध्य एशिया के लोगों की तरह लगते हैं।

कृषि: गर्मियों में लोग बार्ली, आलू, बीन, मटर और शलजम की खेती करते हैं। सर्दियों में कड़ाके की ठंड के कारण लोग अपने आप को धार्मिक उत्सवों और जलसों में व्यस्त रखते हैं।

व्यवसाय: यहाँ की महिलाएँ बहुत मेहनकश होती हैं। वे अक्सर छोटा मोटा व्यवसाय और दुकान संभालती हैं। साथ में वे अपने घर और खेतों में भी काम करती हैं।

लद्दाख की राजधानी लेह का सड़क और हवाई मार्ग से अच्छा संपर्क है। लेह से कश्मीर घाटी तक जोजी ला पास से होते हुए नेशनल हाइवे 1 ए गुजरता है।

पूरी दुनिया के पर्यटक लद्दाख घूमने जाते हैं। पर्यटक गोम्पा देखते हैं, मैदानों और हिमनदियों को देखते हैं और यहाँ होने वाले त्योहारों और जलसों का मजा लेते हैं।

लद्दाख में बदलाव

लद्दाख के लोग भी आधुनिकता से बचे नहीं हैं। लेकिन ये लोग सदियों से प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहते आए हैं। सीमित संसाधन होने के कारण इन लोगों ने उसका सही मूल्य समझा है और उसे संरक्षित करने का हर संभव प्रयास करते हैं। इसलिए यहाँ के लोग संसाधनों की बरबादी नहीं करते बल्कि उनका उपयोग बहुत संभाल कर करते हैं।