सजीव: विशेषताएँ एवं आवास
अनुकूलन
जीवों के वैसे लक्षण जो उन्हें किसी खास माहौल में जिंदा रहने में सक्षम बनाते हैं, अनुकूलन कहलाते हैं। किसी भी जीव में किसी विशेष अनुकूलन के विकसित होने में हजारों वर्ष लग जाते हैं। जिन जीवों में उचित अनुकूलन विकसित होता है वे बदले हुए परिवेश में भी जिंदा बच जाते हैं। लेकिन अन्य जीव नहीं बच पाते हैं।
मरुस्थल में अनुकूलन
मरुस्थल में अनुकूलन के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
ऊँट में अनुकूलन
- ऊँट के गद्देदार पैर इसे रेत में चलने में मदद करते हैं।
- ऊँट की पलकें लंबी होती हैं, जिनके कारण ऊँट की आँखों में रेत नहीं जा पाता है।
- ऊँट एक ही बार में ढ़ेर सारा पानी पी जाता है। उसके बाद पानी पिये बिना यह कई दिनों तक रह सकता है।
- ऊँट में मूत्र विसर्जन बहुत कम होता है और इसका गोबर भी शुष्क होता है। इससे जल संरक्षण में मदद मिलती है।
- ऊँट के लंबे पैरों के कारण इसका शरीर गर्म रेत से दूर रहता है।
मरुस्थल में रहने वाले छोटे जीव के शरीर पर कठोर स्केल (शल्क) होती है। इससे जल के ह्रास में कमी होती है। ये जीव दिन के समय छाया में पड़े रहते हैं और रात होने पर ही बाहर निकलते हैं।
मरुस्थल के पौधों में अनुकूलन
- मरुस्थलीय पादपों की जड़ें जमीन में अधिक गहराई तक जाती हैं, ताकि बहुत गहराई से जल ले सकें।
- इनमें से कुछ पादपों की पत्तियाँ कांटों में रूपांतरित हो जाती हैं। इससे वाष्पोत्सर्जन बहुत कम होता है और जल संरक्षण में मदद मिलती है।
- कुछ पौधों के तने रूपांतरित होकर पत्ती जैसी संरचना बनाते हैं। ऐसे तने स्पंज की तरह फूले होते हैं और इनपर मोम की परत होती है। स्पंज जैसी परत में पानी जमा रहता है। मोम की परत से वाष्पीकरण की रोकथाम होती है।
पर्वतीय आवास
- पर्वतीय क्षेत्र अक्सर ठंडे होते हैं और यहाँ जाड़े में बर्फ भी गिरती है।
- पर्वतीय आवास के पेड़ शंकु के आकार के होते हैं। इन पेड़ों की पत्तियाँ सुई के आकार की होती हैं। सुई के आकार के कारण इन पत्तियों पर बर्फ नहीं टिकती है और इसलिए इन्हें कोई नुकसान नहीं होता है।
- पर्वतीय आवास में रहने वाले जंतुओं के शरीर पर घने रोएँ होते हैं। इससे जाड़े में भी उनका शरीर गर्म होता है। इन जंतुओं के शरीर में चर्बी की एक मोटी परत रहती है जो जाड़े से बचाव करती है। पहाड़ी बकरे के खुर बहुत मजबूत होते हैं, जिनकी सहायता से यह तीखी ढ़लान पर भी आराम से दौड़ लेता है।
घासस्थल
घासस्थल और जंगल में कई जंतु रहते हैं। ऐसे आवास में जलवायु गर्म होती है और प्रचुर मात्रा में भोजन उपलब्ध रहता है। लेकिन सघान आबादी के कारण ऐसे आवास में भोजन और अन्य संसाधन के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है। कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
शेर: शेर एक जबरदस्त शिकारी होता है। इसकी मांसपेशियाँ ताकतवर होती हैं। शेर अपने पैने नखों से किसी भी शिकार को मार गिराता है। दौड़ते समय शेर अपने नखों को अंदर खींच लेता है और इसलिए कोई आवाज किये बिना दौड़ता या चलता है। शेर का शरीर पीलापन लिए भूरे रंग का होता है, जो सूखी घास और पत्थरों के रंग से मेल खाता है। इसलिए यह अपने शिकार को आसानी से नजर नहीं आता है। शेर की आंखें सिर पर सामने की ओर होती हैं, जिनसे वह आगे बहुत दूर तेक देख पाता है।
बाघ: बाघ भी एक जबरदस्त शिकारी होता है। इसके शरीर पर की काली धारियाँ इसके शिकार को लंबी घास जैसी लगती हैं।
हिरण: हिरण बहुत तेज दौड़ता है और फुर्ती से दौड़कर अपनी जान बचा लेता है। हिरण की सुनने की शक्ति प्रबल होती है जिससे वह आने वाले खतरे को भांप लेता है। हिरण की आँखें सिर के बगल में होती हैं। इसलिए हिरण अपने पीछे से आने वाले शिकारी को भी देख लेता है।
कुछ जलीय जीव
मछली: मछली अपने धारारेखीय शरीर के कारण आसानी से पानी में तैर लेती है। यह अपने गिल से पानी में विलेय ऑक्सीजन को ले लेती है।
ऑक्टोपस: ऑक्टोपस का शरीर धारारेखीय नहीं होता है। लेकिन यह अपने शरीर को किसी भी आकार का बना सकता है। ऑक्टोपस अपने शरीर का रंग आस पास के माहौल के अनुरूप कर लेता है, जिससे इसे छिपने में मदद मिलती है। अपने दुश्मन से पीछा छुड़ाने के लिए यह स्याही जैसा द्रव छोड़ता है।
मेढ़क: मेढ़क के पिछले पैर लंबे होते हैं, जिनकी मदद से यह जमीन पर कूद लेता है। पिछले पैरों की अंगुलियों के बीच झिल्ली होती है जिनकी मदद से यह तैर लेता है। मेढ़क अपनी चिपचिपी जीभ से शिकार पकड़ता है।
जलीय पादप: जलीय पादप तीन प्रकार के होते हैं। कुछ पादपों की जड़ तल से लगी होती है, लेकिन पत्ती जल की सतह के ऊपर होती है। इन पौधों की डंठल लंबी और खोखली होती है। कुछ पौधे पूरी तरह पानी में डूबे हुए होते हैं। इन पौधों की पत्तियाँ फीते जैसी होती हैं, या जगह जगह से विखंडित होती हैं। इससे पानी की धारा से भी पत्तियों को कोई नुकसान नहीं होता है। कुछ पौधे पानी के ऊपर तिरते रहते हैं। इन पौधों के पत्ते अक्सर बड़े आकार के होते हैं। ये पत्ते स्पंजी होते हैं और इनके ऊपर मोम की परत होती है।