प्रिंट कल्चर और आधुनिक दुनिया
Extra Questions Answers
प्रश्न:1 प्रिंट टेक्नॉलोजी का विकास सबसे पहले कहाँ हुआ था?
उत्तर: प्रिंट टेक्नॉलोजी का विकास सबसे पहले चीन, जापान और कोरिया में हुआ।
प्रश्न:2 एकॉर्डियन बुक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: शुरुआत में कागज पतले और झिर्रीदार होते थे। ऐसे कागज पर दोनों तरफ छपाई करना संभव नहीं था। कागज के दोनों सिरों को टाँके लगाकर फिर बाकी कागज को मोड़कर एकॉर्डियन बुक बनाई जाती थी।
प्रश्न:3 यूरोप में प्रिंट टेक्नॉलोजी कैसे आई?
उत्तर: मार्को पोलो जब 1295 में चीन से लौटा तो अपने साथ ब्लॉक प्रिंटिंग की जानकारी लेकर आया। इस तरह इटली में प्रिंटिंग की शुरुआत हुई। उसके बाद प्रिंट टेक्नॉलोजी यूरोप के अन्य भागों में भी फैल गई।
प्रश्न:4 गुटेनबर्ग में क्या विशेषता थी कि उसने प्रिंटिंग प्रेस बनाया?
उत्तर: गुटेनबर्ग किसी व्यापारी के बेटे थे। अपने बचपन से ही उन्होंने जैतून और शराब की प्रेस देखी थी। उसने पत्थरों पर पॉलिस करने की कला भी सीखी थी। उसे सोने के जेवर बनाने में भी महारत हासिल थी और वह लेड के साँचे भी बनाता था जिनका इस्तेमाल सस्ते जेवरों को ढ़ालने के लिए किया जाता था। इस तरह से गुटेनबर्ग के पास हर वह जरूरी ज्ञान था जिसका इस्तेमाल करके उसने प्रिंटिंग टेक्नॉलोजी को और बेहतर बनाया।
प्रश्न:5 प्रिंट टेक्नॉलोजी ने किस तरह से धार्मिक विवाद को जन्म दिया?
उत्तर: प्रिंट के आने से नये तरह के बहस और विवाद को अवसर मिलने लगे। धर्म के कुछ स्थापित मान्यताओं पर सवाल उठने लगे। पुरातनपंथी लोगों को लगता था कि इससे पुरानी व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी हो रही थी। ईसाई धर्म की प्रोटेस्टैंट क्राँति भी प्रिंट संस्कृति के कारण ही संभव हो पाई थी। धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाने वाले नये विचारों से रोम के चर्च को परेशानी होने लगी।
प्रश्न:6 प्रिंट टेक्नॉलोजी आने से भारत में क्या असर हुआ?
उत्तर: प्रिंट संस्कृति से भारत में धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर बहस शुरु करने में मदद मिली। लोग कई धार्मिक रिवाजों के प्रचलन की आलोचना करने लगे। इससे नई राजनैतिक बहस की रूपरेखा निर्धारित होने लगी। प्रिंट के कारण भारत के एक हिस्से का समाचार दूसरे हिस्से के लोगों तक भी पहुँचने लगा। इससे लोग एक दूसरे के करीब भी आने लगे।
प्रश्न:7 भारतीय उपन्यासकारों का उदय कैसे हुआ?
उत्तर: शुरु शुरु में भारत के लोगों को यूरोप के लेखकों के उपन्यास ही पढ़ने को मिलते थे। वे उपन्यास यूरोप के परिवेश में लिखे होते थे। इसलिए यहाँ के लोग उन उपन्यासों से तारतम्य नहीं बिठा पाते थे। बाद में भारतीय परिवेश पर लिखने वाले लेखक भी उदित हुए। ऐसे उपन्यासों के चरित्र और भाव से पाठक बेहतर ढ़ंग से अपने आप को जोड़ सकते थे।
प्रश्न:8 भारत में सेंसर की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर: 1857 के विद्रोह के बाद प्रेस की स्वतंत्रत के प्रति अंग्रेजी हुकूमत का रवैया बदलने लगा। वर्नाकुलर प्रेस एक्ट को 1878 में पारित किया गया। इस कानून ने सरकार को वर्नाकुलर प्रेस में समाचार और संपादकीय पर सेंसर लगाने के लिए अकूत शक्ति प्रदान की। राजद्रोही रिपोर्ट छपने पर अखबार को चेतावनी दी जाती थी। यदि उस चेतावनी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था तो फिर ऐसी भी संभावना होती थी कि प्रेस को बंद कर दिया जाये और प्रिंटिंग मशीनों को जब्त कर लिया जाये।