समकालीन शहरी जीवन
लंदन की सफाई
लंदन शहर को साफ सुथरा रखने के लिये कई कदम उठाए गये। मुहल्लों को खुला खुला बनाया गया, खुली जगहों पर हरियाली का प्रबंध किया गया, प्रदूषण घटाया गया और शहर को सुंदर बनाने के लिए बाग बगीचे लगाये गये। बड़े बड़े अपार्टमेंट बनाये तो गये लेकिन उन्हें केवल खाता-पीते घर का आदमी ही खरीद सकता था। प्रथम विश्व युद्ध के समय रेंट कंट्रोल कानून लाया गया ताकि लोगों पर किराये का बोझ घटाया जा सके।
दोनों विश्व युद्धों के बीच में जो समय मिला उसमें ब्रिटिश सरकार ने श्रमिकों के लिये आवास मुहैया करने की जिम्मेदारी ली। स्थानीय निकायों ने लगभग दस लाख मकान बनाये। इनमें से ज्यादातर मकान एक परिवार के रहने लायक छोटे मकान थे।
शहर में यातायात
जैसे जैसे शहर का विस्तार होने लगा तो यातायात की मुश्किलें बढ़ती गई। पहले लोग आराम से पैदल अपने दफ्तर या फैक्ट्री में काम करने पहुँच जाते थे। ऐसे लोगों को शहर के बाहर बसने के लिए राजी करना आसान नहीं था। इसके लिए यातायात की सुविधा की जरूरत थी ताकि लोग समय पर अपने काम करने की जगह पर पहुँच सकें। लंदन में अंडरग्राउंड रेल की शुरुआत हुई। पैडिंगटन और फैरिंगटन के बीच अंडरग्राउंड रेल का पहला सेक्शन बना जो 1863 में चालू हो गया। इस रेल सेवा को 1880 तक इतना बढ़ा दिया गया कि इससे साल भर में चार करोड़ यात्री सफर कर सकें।
शुरु में अंडरग्राउंड रेल के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया कुछ अच्छी नहीं थी। कई लोगों के मकान अंडरग्राउंड रेल निर्माण के लिये गिरा दिये गये थे। ऐसे लोग इस रेल का विरोध करते थे। कई लोगों को अंडरग्राउंड रेल के अंदर धुंए से भरी गाड़ी में सफर करना रास नहीं आ रहा था। लेकिन समय बीतने के साथ अंडरग्राउंड रेल सफलता का प्रतीक बन गया।
शहर में सामाजिक बदलाव
औद्योगीकरण के कारण शहर में सामाजिक बदलाव भी हुए। परिवार का आकार छोटा होता जा रहा था और व्यक्तिवाद बढ़ता जा रहा था। कामगार वर्ग में शादियाँ टूटने भी लगीं थीं। उच्च-मध्य वर्ग की महिलाओं का अकेलापन बढ़ने लगा था। ऐसे घरों में नौकरानियाँ काम करती थीं जिसके कारण उच्च-मध्य वर्गीय महिलाओं के पास खाली समय बहुत था लेकिन कुछ काम न होने की वजह से वे अकेलापन महसूस करती थीं। दूसरी ओर निम्न वर्ग की महिलाओं की जिंदगी अधिक सार्थक थी क्यों उसपर उनका अपना नियंत्रण था। कई समाज सुधारकों का मानना था कि परिवार को बचाने के लिये महिलाओं को वापस घरों की चारदीवारी में भेजना चाहिए।
इस दौरान होने वाले राजनैतिक आंदोलनों में मुख्य रूप से पुरुष ही शिरकत करते थे। ऐसे आंदोलनों में महिलाओं की भागीदारी होने में समय लगा। बीसवीं सदी तक शहरी परिवार में बदलाव आने लगा। युद्ध काल में महिलाओं ने फैक्ट्रियों में काम करना शुरु किया और परिवार चलाने की जिम्मेदारी ले ली थी। इसलिए अब उनमें आर्थिक स्वतंत्रता की भावना आ चुकी थी। अब पति और पत्नी दोनों मिलकर अहम निर्णय लेने लगे थे और इस तरह से परिवार अब नये बाजार का केंद्र बन गया था।
मनोरंजन और उपभोग
अमीरों और गरीबों के लिए मनोरंजन के अलग अलग मायने और तरीके थे। ब्रिटेन के अमीर लोगों में लंदन सीजन मनाने की परंपरा था। गर्मी के मौसम में (खासकर अप्रैल महीने में) अमीर लोग अपने गाँवों में स्थित आलीशान घरों से निकलकर लंदन आते थे और छुट्टी बिताने के लिए खास रूप से बने जगहों पर रुकते थे। उनके मनोरंजन के लिए रंगारंग कार्यक्रम होते थे, खेलकूद का आयोजन होता था और कई अन्य गतिविधियाँ होती थीं।
श्रमिक वर्ग के लोग पब में मिलते थे। उनके लिये एक दूसरे की खबर जानने और विचारों का आदान प्रदान करने के लिये पब एक अच्छी जगह थी। उन्नीसवीं सदी में लाइब्रेरी, आर्ट गैलरी और म्यूजियम बनाये गये ताकि लोग ब्रिटेन के इतिहास और उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर सकें। जब म्यूजियम में टिकट लगता था तब तो कम ही लोग जाते थे लेकिन जब टिकट की जरूरत को खत्म कर दिया गया तो आम लोगों का एक बड़ा हिस्सा म्यूजियम जाने लगा। म्यूजिक हॉल निम्न वर्ग के लोगों में काफी लोकप्रिय थे। बीसवीं सदी की शुरुआत से ही सिनेमा हर वर्ग के लोगों में काफी लोकप्रिय हो चुका था।
श्रमिक वर्ग में बीच पर छुट्टियाँ मनाने का प्रचलन बढ़ गया था। ब्लैकपूल के बीचों पर जाने वाले सैलानियों की संख्या दिनो दिन बढ़ने लगी।
शहर की राजनीति
राजनैतिक नजरिये से देखें तो एक शहर की विशाल आबादी से खतरा भी था और इसमें अवसर भी थे। यह वह दौर था जब शहर में बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन हुए थे। इनमें से कुछ को तो पुलिस ने बर्बरता से कुचल दिया था। फिर प्रशासन ने इस दिशा में काम किया कि लोगों में से टकराव और विद्रोह की भावना समाप्त हो सके। इसके लिये शहर को सुंदर बनाने के प्रयास किये गये।