10 इतिहास

भारत में राष्ट्रवाद

NCERT Solution

प्रश्न:1 व्याख्या करें:

प्रश्न:a) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?

उत्तर: उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन ने लोगों को एक प्रबल मुद्दा दिया जिससे वे आसानी से जुड़ सके और एक ही प्लेटफॉर्म पर आ सके। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई थी।

प्रश्न:b) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया?

उत्तर: पहले विश्व युद्ध ने भारत के लोगों के लिए भारी आर्थिक समस्या खड़ी कर दी। इसके अलावा, भारतीय लोगों की ब्रिटिश सेना में जबरन भर्ती ने भी लोगों को उपनिवेशी शासकों के खिलाफ कर दिया। यह राष्ट्रवादी नेताओं के लिए बड़ा ही अनुकूल समय था जब वे लोगों को उपनिवेशी शासकों के विरोध में जाने के लिए उकसा सकते थे। इस तरह से प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में अच्छा योगदान किया।

प्रश्न:c) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?

उत्तर: रॉलट एक्ट ने उपनिवेशी शासकों अकूत ताकत प्रदान की। यह कानून राजनीतिक दलों के निर्माण और विरोध के खिलाफ काम करने वाला था। इसलिए भारत के लोग रॉलट एक्ट के खिलाफ थे।

प्रश्न:d) गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर: 1921 आते आते यह आंदोलन कई जगह हिंसक होने लगा था। गांधीजी किसी भी प्रकार की हिंसा के सख्त खिलाफ थे, इसलिए उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला लिया।

प्रश्न:2 सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?

उत्तर: महात्मा गांधी ने जन आंदोलन का एक नायाब तरीका निकाला जिसे सत्याग्रह का नाम दिया गया। यह इस सिद्धांत पर आधारित था कि यदि कोई सही मुद्दे के लिए लड़ रहा है तो फिर उस लड़ाई के लिए लाठी या गोली की ताकत की जरूरत नहीं है। गांधीजी का मानना था कि एक सत्याग्रही किसी भी लड़ाई को अहिंसा से जीत सकता है। इसके लिए बदले की भावना या हिंसा की भावना की कोई जरूरत नहीं है।

प्रश्न:3 निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें:

प्रश्न:a) जलियाँवाला बाग हत्याकांड

उत्तर: अमृतसर, 13 अप्रैल 1919: अंग्रेजी जेनरल डायर ने जलियाँवाला बाग में मेला देखने आये निर्दोष लोगों पर गोली चलाने के आदेश दिये। बाहर जाने के सारे रास्ते बंद कर दिये गये थे ताकि अंग्रेजी ताकत के गुस्से से कोई न बच सके। इस गोलीकांड में कई लोगों की जान चली गई और उनसे कई गुना अधिक लोग घायल हो गये।

प्रश्न:b) साइमन कमिशन

उत्तर: लंदन 1928: भारत में संवैधानिक सिस्टम की कार्यप्रणाली को सुचारु करने के लिए अंग्रेजी सरकार ने साइमन कमीशन का गठन किया है। ऐसा कहा गया है कि यह कमीशन कुछ नये बदलाव लेकर आयेगी ताकि भारत में एक नये प्रशासनिक तंत्र को बनाया जाएगा। इस कमीशन की सबसे बड़ी विडंबना है कि इसमें एक भी भारतीय नहीं है। ज्यादातर विचारकों को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि केवल अंग्रेजों से भरी हुई यह टीम भारत के मामलों में सही निर्णय कैसे लेगी। कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने इस कमिशन का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

प्रश्न:4 इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।

उत्तर: दोनों मामलों में मातृभूमि को एक महिला के रूप में दिखाया गया है। दोनों आकृतियो6 को पारंपरिक परिधानों से सजाया गया है और उनके हाथों में कुछ रूपक तत्व दिये गये हैं। ये रूपक स्वतंत्रता, उदारवाद, शांति और ऊर्जा के प्रतीक हैं।

प्रश्न:5 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखए हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए।

उत्तर: असहयोग आंदोलन में किसान, आदिवासी, बागान मजदूर, छात्र, वकील, सरकारी कर्मचारी, महिलाएँ, आदि शामिल हुई थीं। इनमे से तीन का विवरण नीचे दिया गया है:

किसान: किसानों का विरोध अधिक मालगुजारी और तालुकदार और जमींदारों द्वारा लगाये गये अन्य शुल्कों के खिलाफ था। किसानों की माँग थी कि मालगुजारी को कम किया जाए, बेगार को समाप्त किया जाए और जमींदारों का बहिष्कार किया जाए।

आदिवासी: आदिवासियों ने महात्मा गांधी के स्वराज का अपना ही अर्थ निकाला था। आदिवासियों को जंगल में पशु चराने और वहाँ से फल और जलावन लेने की मनाही थी। इस तरह से जंगल के नए कानून उनकी आजीविका के लिए खतरा साबित हो रहे थे। सरकार उन्हें सड़क निर्माण में बेगार करने के लिए बाधित कर रही थी। आदिवासी मानते थे कि इस आंदोलन से उन्हें उन सब समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

बागान मजदूर: इंडियन एमिग्रेशन एक्ट 1859 के अनुसार बागान में काम करने वाले मजदूरों को बिना अनुमति के बागान छोड़ने की मनाही थी। जब असहयोग आंदोलन की खबर चारों ओर फैलने लगी तो बादान के कई मजदूरों ने वहाँ के अफसरों की आज्ञा मानने से इनकार कर दिया।

प्रश्न:6 नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशव्बाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

उत्तर: नमक एक शक्तिशाली प्रतीक था जिसे हर व्यक्ति से जोड़ा जा सकता था। नमक का इस्तेमाल हर तबके का आदमी समान रूप से करता था। गरीबों के लिए नमक कर को समाप्त करने का मतलब था दाम में गिरावट। किसी व्यवसायी के लिए इसका मतलब था कि वे ऐसे कई अन्य करों की समाप्ति की उम्मीद कर सकते थे जिससे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा था।

प्रश्न:7 कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता।

उत्तर: पारंपरिक तौर पर एक महिला की भूमिका घर चलाने की मानी जाती है। लेकिन असहयोग आंदोलन में भाग लेकर मैं राष्ट्र निर्माण में भागीदारी कर सकूंगी। यह मेरे लिए किसी प्रोत्साहन से कम नहीं था। जब मैंने लाठी चार्ज में घायल व्यक्तियों की सेवा की तो मेरा हृदय उल्लास से भर गया। ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने ही भाई बंधुओं की सेवा कर रही थी।

प्रश्न:8 राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे?

उत्तर: जिन्ना जैसे कई नेता मानते थे कि हिंदु बहुल देश में मुसलमानों का भविष्य सुरक्षित नहीं रहेगा। वह अपने समुदाय के लिए अधिक शक्ति की इच्छा रखते थे। अंबेदकर जैसे दलित नेताओं की स्थिति भी कमोबेश वैसी ही थी। दलितों के खिलाफ उत्पीड़न के एक लंबे इतिहास के कारण उन्हें यह डर था कि सवर्णों के हाथों में राजनीतिक सत्ता आने से दलितों की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। दूसरी ओर, महात्मा गांधी का मानना था कि पृथक निर्वाचिका बनाने से वैसे लोग मुख्य धारा से और भी दूर चले जाएँगे। उन्हें लगता था कि पृथक निर्वाचिका बनाने से हाशिए पर रहने वाले लोगों को मुख्य धारा से जोड़ना और भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए विभिन्न नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर बँटे हुए थे।