खनिज संसाधन
लौह अयस्क
अच्छी क्वालिटी के लौह अयस्क में लोहे की अच्छी मात्रा होती है। मैग्नेटाइट में 70% लोहा होता है इसलिए इसे सबसे अच्छी क्वालिटी का लौह अयस्क माना जाता है। अपने उत्तम चुम्बकीय गुण के कारण यह लोहा विद्युत उद्योग के लिये अच्छा माना जाता है। हेमाटाइट में 50 से 60% लोहा होता है। इसे मुख्य औद्योगिक लौह अयस्क माना जाता है।
भारत में लौह अयस्क के मुख्य बेल्ट
उड़ीसा झारखंड बेल्ट: उड़ीसा के मयूरभंज और केंदुझर जिले की बादामपहाड़ की खानों में हाई ग्रेड का हेमाटाइट अयस्क मिलता है। झारखंड के सिंहभूम जिले के गुआ और नोआमुंडी की खानों में भी हेमाटाइट अयस्क मिलता है।
दुर्ग बस्तर चंद्रपुर बेल्ट: यह बेल्ट छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पड़ता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की बैलादिला पहाड़ियों में हाई ग्रेड का हेमाटाइट अयस्क मिलता है। इन पहाड़ियों में सुपर हाई ग्रेड हेमाटाइट अयस्क के 14 भंडार हैं। इन खानों के लोहे को विशाखापत्तनम के बंदरगाह से जापान और दक्षिण कोरिया तक निर्यात किया जाता है।
बेल्लारी चित्रदुर्ग चिकमगलूर बेल्ट: यह बेल्ट कर्णाटक में पड़ता है। पश्चिमी घाट में स्थित कुद्रेमुख की खानें शत प्रतिशत निर्यात के लिए उत्पादन करती है। यहाँ का लौह अयस्क स्लरी के रूप में पाइपलाइन के द्वारा मंगलोर के निकट के बंदरगाह तक भेजा जाता है।
महाराष्ट्र गोवा बेल्ट: इस बेल्ट में गोवा राज्य और महाराष्ट्र का रत्नागिरी जिला आता है। यहाँ के खानों के अयस्क अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इन अयस्कों को मारमागाओ पोर्ट से निर्यात किया जाता है।
मैगनीज
मैगनीज का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्टील और फेरो-मैगनीज अयस्क के निर्माण में होता है। इसका इस्तेमाल ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक और पेंट बनाने में भी होता है।