कृषि
खाद्य सुरक्षा
समाज के हर वर्ग को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा तंत्र का निर्माण किया है। इसके मुख्य भाग निम्नलिखित हैं:
बफर स्टॉक: फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया एक सरकारी संस्था है जो किसानों से अनाज खरीदती है और फिर विभिन्न स्थानों पर बफर स्टॉक रखती है। बफर स्टॉक का इस्तेमाल तब किया जाता है जब किसी भी स्थान पर खाद्यान्न की कमी होती है। बफर स्टॉक को प्राकृतिक आपदाओं के समय किया जाता है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): इस कार्यक्रम के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को सस्ते दामों पर खाद्द्यान्न और अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराई जाती हैं। PDS का लाभ लेने के लिए लोगों को राशन कार्ड बनवाना पड़ता है। गरीबी रेखा से नीचे और गरीबी रेखा से ऊपर के व्यक्तियों के लिये अलग-अलग तरह के राशन कार्ड बनते हैं। PDS को एफसीआई द्वारा आपूर्ति की जाती है।
कृषि का बदलता स्वरूप:
समय बदलने के साथ कृषि का स्वरूप भी बदल रहा है। अब ज्यादा से ज्यादा किसान फल, सब्जियाँ, तिलहन और औद्योगिक महत्व की फसलें उगाने लगे हैं। इससे किसानों को फायदा तो हो रहा है लेकिन खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से यह खतरनाक है।
वैश्वीकरण का कृषि पर प्रभाव:
वैश्वीकरण के प्रभाव हमेशा से देखे जा रहे हैं। जब भारत में यूरोपीय व्यापारियों के आने का दौर शुरु हुआ तो यहाँ से निर्यात की मुख्य वस्तुएँ थीं काली मिर्च और मसाले। जब अंग्रेजों का राज चलने लगा तो भारत कच्चे माल का निर्यातक बन गया जिसमें कपास मुख्य वस्तु था। जब ब्रिटेन के कपड़ा उद्योग में नील की मांग बढ़ी तो भारत के किसानों को नील की खेती के लिये बाध्य किया गया। नील की बढ़ति खेती के कारण भारत में अनाजों की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
आधुनिक समय में कृषि के समक्ष वैश्वीकरण की नई चुनौती है। पश्चिमी देशों के किसानों को अत्यधिक सहायिकी मिलती है। इसके फलस्वरूप भारत के किसान पश्चिमी देशों के किसानों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के कृषि उत्पाद की मांग बहुत कम है।
वर्तमान में पश्चिमी देशों के किसानों को अत्यधिक सहायिकी मिलने के कारण भारत के किसान उनसे प्रतिस्पर्धा करने में अक्षम साबित हो रहे हैं। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के कृषि उत्पाद की मांग बहुत कम है। साथ में रासायनिक उर्वरक और सिंचाई के अत्यधिक इस्तेमाल ने नई समस्याएँ खड़ी कर दी है जिससे कृषि उत्पाद घट रहा है। भारत में कृषि पर बहुत अधिक लोग निर्भर हैं इसलिए प्रति व्यक्ति कृषि उत्पाद और भी कम होने वाली है। कई विशेषज्ञों की राय में कार्बनिक कृषि से इस समस्या से निदान पाया जा सकता है।
हरित क्रांति के परिणामस्वरूप रासायनिक उर्वरक और सिंचाई का अत्यधिक इस्तेमाल होने लगा है। इससे कृषि उत्पाद घटने लगा है।
भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है। इसलिये प्रति व्यक्ति कृषि उत्पाद दिनों दिन कम हो रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कार्बनिक कृषि से इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।