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उपोष्ण क्षेत्र में जीवन

गंगा ब्रह्मपुत्र बेसिन

भारतीय उपमहाद्वीप में गंगा और ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों द्वारा गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन का निर्माण हुआ है। यह बेसिन उपोष्ण क्षेत्र में है और 10° उत्तर से 30° उत्तर अक्षांशों के बीच फैला है। गंगा की कुछ सहायक नदियों के नाम हैं: घाघरा, सोन, कोसी, चम्बल और गंडक। इस बेसिन के मुख्य लक्षण हैं, गंगा और ब्रह्मपुत्र के मैदान, हिमालय के पर्वत, हिमालय का गिरिपाद (फूटहिल) और सुंदरबन डेल्टा। इस इलाके में चापझील बहुतायत से मिलते हैं।

जलवायु

यहाँ मानसून जलवायु रहती है। मध्य जून से मध्य सितंबर के बीच मानसून अपने साथ वर्षा लाता है। गर्मी का मौसम काफी गर्म होता है और सर्दियाँ ठंडी होती हैं।

जनसंख्या

इस बेसिन में विविधता भरी स्थलाकृति होती है। इससे जनसंख्या के घनत्व पर असर पड़ता है। पर्वतीय क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व काफी कम है। मैदानों में सघन आबादी रहती है।

मैदानी इलाकों के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। धान यहाँ की मुख्य फसल है। मछली और चावल लोगों का मुख्य आहार है। यहाँ गेहूँ, मक्का, ज्वार और चने की खेती भी होती है। गन्ना और जूट नकदी फसल के उदाहरण हैं। पश्चिम बंगाल और असम में चाय के बागान मिलते हैं। मैदानी इलाकों में केले के बागान मिलते हैं। बिहार और असम में रेशम पालन का काम होता है। कम ढ़ाल वाली पहाड़ियों पर सीढ़ीदार खेतों पर खेती की जाती है।

वनस्पतिजात

गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान में उपोष्ण पतझड़ वन हैं। सागवान, साल और पीपल के पेड़ बहुतायत में मिलते हैं। ब्रह्मपुत्र के मैदानों में बाँस के घने झुरमुट मिलते हैं। डेल्टा में मैनग्रोव वन पाए जाते हैं। उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में ठंडी जलवायु और तीखी ढ़ाल के कारण कोनीफेरस वृक्ष मिलते हैं, जैसे पाइन, देवदार, और फर।

प्राणिजात

इस बेसिन में वन्य जीवन की विविधता देखने को मिलती है। बंदर, बाघ, हिरण और हाथी यहाँ के आम जानवर हैं। ब्रह्मपुत्र के मैदान में एक सींग वाला गैंडा पाया जाता है। डेल्टा के क्षेत्र में बंगाल टाइगर, मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। मछलियों की कई प्रजातियाँ मिलती हैं, जैसे रोहू, कतला और हिल्सा।

बेसिन में विकास

गंगा ब्रह्मपुत्र के मैदान में कई ब‌ड़े नगर और शहर हैं, जैसे इलाहाबाद (प्रयागराज), कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, पटना और कोलकाता। इन शहरों की फैक्ट्रियों और घरों से निकलने वाले वाहित मल के कारण नदियाँ प्रदूषित हो चुकी है। इस क्षेत्र में परिवहन का हर साधन पूरी तरह विकसित है। मैदानी क्षेत्र में सड़क और रेल का सघन नेटवर्क है और कई हवाई अड्डे भी हैं। नदियों से होकर माल का परिवहन होता है। इस क्षेत्र में पर्यटन स्थल भारी संख्या में हैं, जैसे ताजमहल, प्रयागराज, बुद्ध सर्किट, बोधगया, आदि।