भूमध्यसागरीय वनस्पति
महाद्वीपों के पश्चिमी और दक्षिणी-पश्चिमी किनारे, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी किनारों से काफी अलग होते हैं। पश्चिमी और दक्षिणी-पश्चिमी किनारों पर भूमध्यसागरीय वनस्पति पाई जाती है।
इस क्षेत्र में फलों की खेती खूब होती है इसलिए भूमध्यसागरीय क्षेत्र को दुनिया का फलोद्यान (फलों का बगीचा) भी कहते हैं। इस इलाके के वृक्षों की मोटी खाल और मोम के परत वाली पत्तियों से गर्मियों में वाष्पोत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है। इसलिए ये पेड़ शुष्क गर्मी में भी बचे रह जाते हैं।
इस तरह की वनस्पति कुछ अन्य इलाकों में भी पाई जाती है, जैसे कैलिफोर्निया, दक्षिण-पश्चिमी अफ्रिका, दक्षिणी अमेरिका का दक्षिणी-पश्चिमी भाग और दक्षिणी-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया। इन क्षेत्रों में शुष्क गर्मी पड़ती है और सर्दियों में हल्की वर्षा होती है।
भूमध्यसागरीय क्षेत्र में सिट्रस फल, जैसे संतरा, नींबू और ग्रेपफ्रुट की खेती होती है। साथ में अंगूर, जैतून और अंजीर भी उगाए जाते हैं। यहाँ पर प्राकृतिक वनस्पति न के बराबर होने के कारण वन्य जीवन बिलकुल नहीं है।
शंकुधारी वन: इस प्रकार के वन उत्तरी गोलार्ध के ऊँचे अक्षांशों (50° - 70°) में पाए जाते हैं। इन वनों को टैगा भी कहते हैं। इस वन के वृक्ष ऊँचे और सदाबहार होते हैं और उनकी लकड़ी मुलायम होती है, जैसे चीड़, पाइन और देवदार। इन लकड़ियों का इस्तेमाल कागज, माचिस और पैकिंग बॉक्स बनाने में होता है। इस वन के कुछ आम जंतु हैं, सिल्वर फॉक्स, मिंक और पोलर बेयर।
घासस्थल
घासस्थल दो प्रकार के होते हैं: उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण।
उष्णकटिबंधीय घासस्थल
यह विषुवत रेखा के दोनों और पाया जाता है तो शीतोष्ण कटिबंध तक फैला होता है। कम या मध्यम वर्षण वाले क्षेत्रों में घासस्थल पाते जाते हैं। यहाँ की घास 3 से 4 मीटर ऊँची होती है। हाथी, जेब्रा, हिरण, तेंदुआ और जिराफ उष्णकटिबंधीय घासस्थल के कुछ आम जानवर हैं। उदाहरण: अफ्रिका का सवाना।
शीतोष्ण घासस्थल
इस प्रकार के घासस्थल मध्य अक्षांशों में और महाद्वीपों के भीतरी इलाकों में पाए जाते हैं। शीतोष्ण घासस्थल की घास कम ऊँची होती है। इस इलाके में भैंस, बाइसन और एंटीलोप पाए जाते हैं।
घासस्थल के विभिन्न नाम | |
---|---|
क्षेत्र | नाम |
शीतोष्ण कटिबंधीय | |
पूर्वी अफ्रिका | सवाना |
ब्राजील | कैम्पोस |
वेनेजुएला | लानोस |
उष्ण कटिबंधीय | |
अर्जेंटीना | पाम्पास |
उत्तरी अमेरिका | प्रेरीज |
दक्षिण अफ्रिका | वेल्ड |
सेंट्रल एशिया | स्टेपी |
ऑस्ट्रेलिया | डाउन |
कँटीली झाड़ियाँ
इस प्रकार की वनस्पति रेगिस्तान जैसे शुष्क इलाकों में पाई जाती है। महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में शीतोष्ण मरुस्थल पाए जाते हैं। कम वर्षा और अत्यधिक तापमान के कारण इन क्षेत्रों में वनस्पति नाममात्र को होती है।
टुंड्रा वनस्पति
ध्रुवीय क्षेत्रों में अत्यधिक ठंड पड़ने के कारण वनस्पति न के बराबर पनपती है। इन इलाकों में गर्मी का मौसम बहुत ही कम महीनों के लिए होता है। साल के उस छोटे से हिस्से में यहाँ मॉस, लाइकेन और कुछ छोटे शाक उग आते हैं। इस तरह की वनस्पति को टुंड्रा वनस्पति कहते हैं। यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका के ध्रुवीय इलाकों में इस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। इस क्षेत्र के कुछ आम जानवर हैं: सील, वालरस, आर्कटिक उल्लू, पोलर भालू, स्नो फॉक्स, आदि। इन जानवरों के शरीर पर मोटी चमड़ी और फर की मोटी परत होती है जो कड़ाके की सर्दी से इनका बचाव करती है।