उद्योग
जो आर्थिक गतिविधियाँ वस्तुओं के उत्पादन, खनिजों के निष्कर्षण और सेवा प्रदान करने से संबंधित हैं उन्हें उद्योग की श्रेणी में रखा जाता है।
उद्योग का वर्गीकरण
उद्योगों का वर्गीकरण कई आधारों पर किया जाता है, जैसे कच्चा माल, आकार, आदि। कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को कृषि आधारित, खनिज आधारित, समुद्र आधारित और वन आधारित उद्योगों की श्रेणी में बाँटा गया है।
कृषि आधारित उद्योग: जिस उद्योग में कच्चा माल पादपों या जंतुओं से आता है उसे कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। उदाहरण: सूती कपड़ा, कागज, खाद्य तेल, चमड़ा, आदि।
खनिज आधारित उद्योग: जिस उद्योग के लिए कच्चा माल खनिजों से आता है उसे खनिज आधारित उद्योग कहते हैं। खनिज आधारित उद्योगों का उत्पाद अन्य उद्योगों का पोषण करता है। उदाहरण: लौह-इस्पात, पेट्रोकेमिकल, आदि।
समुद्र आधारित उद्योग: जिस उद्योग के लिए समुद्र या सागर से कच्चा माल आता है उसे समुद्र आधारित उद्योग कहते हैं। उदाहरण: समुद्री खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य तेल, आदि।
वन आधारित उद्योग: जिस उद्योग के लिए कच्चा माल वन से मिलता है उसे वन आधारित उद्योग कहते हैं। उदाहरण: कागज, फर्नीचर, औषधि, माचिस, आदि।
आकार के आधार पर, यानि पूँजी निवेश और उत्पादन के आकार के आधार पर उद्योगों के दो प्रकार होते हैं: वृहत उद्योग और लघु उद्योग।
वृहत उद्योग: जिस उद्योग में पूँजी निवेश बहुत अधिक होती है और उत्पादन भी अधिक होता है उसे वृहत उद्योग कहते हैं।
लघु उद्योग: जिस उद्योग में पूँजी निवेश और उत्पादन कम होता है उसे लघु उद्योग कहते हैं।
कुटीर उद्योग: जिस उद्योग में वस्तुओं का उत्पादन हाथों से शिल्पकारों द्वारा होता है उसे कुटीर उद्योग कहते हैं। टोकरी बुनाई, मिट्टी के बरतन, हस्तशिल्प, आदि कुटीर उद्योग के उदाहरण हैं।
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को निजी सेक्टर, सार्वजनिक सेक्टर, ज्वाइंट सेक्टर और सहकारिता सेक्टर में बाँटा जाता है।
निजी सेक्टर: निजी सेक्टर के उद्योग का स्वामित्व व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के पास होता है। उदाहरण: टाटा, रिलायंस, आदि।
सार्वजनिक सेक्टर: जिस उद्योग का स्वामित्व सरकार या सरकारी एजेंसी के पास होता है उसे सार्वजनिक या पब्लिक सेक्टर कहते हैं। उदाहरण: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।
ज्वाइंट सेक्टर: इन उद्योगों का स्वामित्व सरकार और निजी मालिकों द्वारा साझा किया जाता है। उदाहरण: मारुति, दिल्ली मेट्रो, आदि।
सहकारी सेक्टर: इस सेक्टर में श्रमिक और उत्पादक आपस में मिलजुलकर पूँजी निवेश करते हैं और मुनाफे में बराबर की भागीदारी पाते हैं। उदाहरण: अमूल, लिज्जत, सुधा डेरी, आदि।
उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक
कोई उद्योग किस स्थान पर सहूलियत से पनप सकता है यह कुछ अहम कारकों पर निर्भर करता है। कच्चा माल, भूमि, जल, श्रम, ऊर्जा, पूँजी, परिवहन और बाजार उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं। जिस स्थान पर इनमें से अधिक से अधिक कारक उपलब्ध होते हैं वहाँ पर उद्योगों के पनपने की अधिक संभावना होती है। कई बार सरकार कुछ क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सुविधाएँ देती है, जैसे सस्ते दर पर बिजली, टैक्स में छूट, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, आदि। औद्योगीकरण से शहरों का विकास होता है।
औद्योगिक तंत्र
उद्योग एक सिस्टम की तरह है जिसके मुख्य घटक हैं निवेश, प्रक्रम और उत्पादन। कच्चा माल, श्रम, भूमि, परिवहन, ऊर्जा, आदि निवेश की तरह काम करते हैं। कच्चे माल को परिष्कृत करने का काम प्रक्रम कहलाता है।
औद्योगिक क्षेत्र
विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र पूर्वी उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी और केंद्रीय यूरोप और पूर्वी एशिया में स्थित हैं। प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र अक्सर शीतोष्ण क्षेत्रों में, समुद्र पत्तन के निकट और खासकर से कोयले की खानों के पास होते हैं।
भारत के मुख्य औद्योगिक क्षेत्रों के नाम नीचे दिए गए हैं:
- मुम्बई पुणे क्षेत्र
- बंगलोर तमिल नाडु क्षेत्र
- हुबली क्षेत्र
- अहमदाबाद वडोदरा क्षेत्र
- विशाखापत्तनम गुंटूर क्षेत्र
- गुड़गांव दिल्ली मेरठ क्षेत्र
- कोल्लम तिरुवनंतपुरम क्षेत्र
प्रमुख उद्योगों का वितरण
विश्व के प्रमुख उद्योग हैं लोहा इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग एक नया उद्योग है, जबकि बाकी दो पुराने उद्योग हैं।
लोहा इस्पात उद्योग वाले प्रमुख देश हैं जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और रूस। कपड़ा उद्योग वाले प्रमुख देश हैं भारत, हॉंगकॉंग, दक्षिणी कोरिया, जापान और ताइवान। आईटी उद्योग के मुख्य केंद्र हैं अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सिलिकॉन वैली और भारत में स्थित बंगलोर।