खनिज और शक्ति संसाधन
खनिज: प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ जिसका एक निश्चित रासायनिक संगठन हो, खनिज कहलाता है।
अयस्क: हर खनिज से जरूरी पदार्थ निकालने में लाभ नहीं होता। जिस खनिज से किसी जरूरी संसाधन को फायदेमंद तरीके से निकाला जा सकता है उसे अयस्क कहते हैं। लगभग 28,000 खनिजों की जानकारी आज हमारे पास है। लेकिन उनमें से केवल 100 के आसपास को ही अयस्क की श्रेणी में रखा जाता है। बाकी खनिजों के शोधन में बहुत अधिक धन और संसाधन लगेगा और कोई मुनाफा नहीं होगा।
खनिजों के प्रकार
संगठन के आधार पर खनिजों को दो वर्गों में रखा जाता है: धात्विक और अधात्विक खनिज।
धात्विक खनिज: जिस खनिज में धातु होते हैं उसे धात्विक खनिज कहते हैं। आपने विज्ञान के लेसन में पढ़ा होगा कि जो वस्तु चमकदार, विद्युत और ऊष्मा की सुचालक, तन्य, आघातवर्ध्य और कठोर होती है उसे धातु कहते हैं। धात्विक खनिज दो प्रकार के होते हैं, लौह खनिज और अलौह खनिज।
लौह खनिज: जिस खनिज में लोहा रहता है उसे लौह खनिज कहते हैं, जैसे लौह अयस्क, मैगनीज और क्रोमाइट।
अलौह खनिज: जिस खनिज में लोहा नहीं रहता है उसे अलौह खनिज कहते हैं, जैसे बॉक्साइट, टिन, तांबा, सोना, चाँदी, आदि।
अधात्विक खनिज: जिस खनिज में धातु नहीं होते हैं उसे अधात्विक खनिज कहते हैं। उदाहरण: चूना पत्थर, अभ्रक, कोयला, पेट्रोलियम, आदि।
खनिजों का निष्कर्षण
खनिजों को कई तरीकों से निष्कर्षित किया जाता है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है।
खनन: चट्टानों के नीचे से खनिज निकालने की प्रक्रिया को खनन कहते हैं। खनन के दो तरीके होते हैं, विवृत खनन और कूपक खनन।
- विवृत खनन: कम गहराई में पाए जाने वाले खनिज को निकालने के लिए ऊपरी सतह हटाई जाती है। इस विधि को विवृत खनन या ओपेन कास्ट माइनिंग कहते हैं।
- कूपक खनन: अधिक गहराई में पाए जाने वाले खनिज को निकालने के लिए गहरे कुँए खोदे जाते हैं। इस विधि को कूपक खनन कहते हैं।
प्रवेधन: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस निकालने के लिए बहुत गहराई तक कुँआ खोदा जाता है। इस विधि को प्रवेधन कहते हैं। यह कूपक खनन का ही एक रूप है।
आखनन: कुछ खनिज चट्टानों की सतह पर रहते हैं। उन्हें निकालने के लिए बस ऊपर की सतह में खुदाई करनी पड़ती है। इस विधि को आखनन कहते हैं।
खनिजों का वितरण
धात्विक खनिज अक्सर आग्नेय और कायांतरित शैलों में पाए जाते हैं और विशाल पठार का निर्माण करते हैं। अधात्विक खनिज अक्सर कायांतरित शैलों में पाए जाते हैं और मैदानों और नवीन पर्वतों में पाए जाते हैं। खनिजों के वितरण के बारे में नीचे दिया गया है।
एशिया: भारत और चीन में लौह अयस्क के भंडार हैं। दुनिया के टिन उत्पादन का आधे से अधिक एशिया में होता है। चीन, मलेशिया और इंडोनेशिया दुनिया के अग्रणी टिन उत्पादक हैं। चीन लेड, एंटीमनी और टंगस्टन का अग्रणी उत्पादक है। एशिया में मैंगनीज, बॉक्साइट, निकेल, जिंक और ताँबा के भंडार भी हैं।
यूरोप: यूरोप लौह अयस्क का अग्रणी उत्पादक है। रूस, यूक्रेन, स्वीडेन और फ्रांस में लौह अयस्क के विशाल भंडार हैं। पूर्वी यूरोप और यूरोपीय रूस में ताँबा, लेड, जिंक, मैंगनीज और निकेल के भंडार हैं।
उत्तरी अमेरिका: उत्तरी अमेरिका में खनिजों के भंडार वाले तीन क्षेत्र हैं, जिनके बारे में नीचे दिया गया है।
- कनाडियन क्षेत्र: लौह अयस्क, निकेल, सोना, यूरेनियम और ताँबा
- अप्लेशियन क्षेत्र: कोयला
- पश्चिम की पर्वतमालाएँ: ताँबा, लेड, जिंक, सोना और चाँदी
दक्षिणी अमेरिका: हाई ग्रेड लौह अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक ब्राजील है। चिली और पेरू ताँबा के अग्रणी उत्पादक हैं। टिन के अग्रणी उत्पादक हैं ब्राजील और बोलीविया। दक्षिणी अमेरिका में सोना, चाँदी, जिंक, क्रोमियम, मैंगनीज, बॉक्साइट, अभ्रक, प्लैटिनम, एस्बेस्टस और हीरे के भंडार भी हैं। वेनेजुएला, अर्जेंटीना, चिली, पेरू और कोलंबिया में खनिज तेल पाया जाता है।