कृषि
मुख्य फसलें
चावल
उष्ण और उपोष्ण कटिबंध के लोगों का मुख्य आहार चावल है। चावल की खेती के लिए उच्च तापमान, नमी और अधिक वर्षा की जरूरत होती है। चावल की खेती के लिए चिकनी मिट्टी सबसे अच्छी होती है क्योंकि इसमें पानी अधिक देर तक रुकता है। चावल का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है। चावल के अन्य मुख्य उत्पादक हैं भारत, जापान, श्रीलंका और मिस्र।
गेहूँ
गेहूँ की खेती के मध्यम ताप्मान और वर्षा की जरूरत होती है। गेहूँ की कटाई के समय तेज धूप की जरूरत होती है। गेहूँ की खेती के लिए अच्छे ड्रेनेज वाली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। गेहूँ के मुख्य उत्पादक हैं संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, अर्जेंटीना, रूस, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया और भारत।
मिलेट
ये मोटे अनाज होते हैं जो कम उपजाऊ और बलुई मिट्टी पर भी उग जाते हैं। मिलेट को कम वर्षा और उच्च या मध्य तापमान की जरूरत होती है। भारत में उगने वाले मिलेट हैं ज्वार, बाजरा और रागी। नाइजीरिया, चीन और नाइजर में भी मिलेट की खेती होती है।
मक्का
मक्के की खेती के लिए मध्यम तापमान, वर्षा और प्रचुर धूप की जरूरत होती है। अच्छी ड्रेनेज वाली उपजाऊ मिट्टी मक्के की खेती के लिए सही होती है। मक्के के मुख्य उत्पादक हैं उत्तरी अमेरिका, ब्राजील, चीन, रूस, कनाडा, भारत और मैक्सिको।
कपास
कपास की खेती के लिए उच्च तापमान हल्की वर्षा और खिली धूप की जरूरत होती है। कपास की खेती के लिए 200 से 210 दिन पालारहित होने चाहिए, यानि सात महीने पाला नहीं पड़ना चाहिए। काली मिट्टी कपास की खेती के लिए सही होती है। कपास के मुख्य उत्पादक हैं चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, ब्राजील और मिस्र।
जूट
जूट की खेती के लिए उच्च तापमान, वर्षा और नमी की जरूरत होती है। इसे सुनहरा रेशा या गोल्डेन फाइबर भी कहते हैं। जूट के अग्रणी उत्पादक हैं भारत और बांग्लादेश।
कॉफी
कॉफी की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु तथा सही ड्रेनेज वाली दोमट मिट्टी की जरूरत होती है। कॉफी का अग्रणी उत्पादक है ब्राजील, और उसके बाद कोलंबिया और भारत का नाम आता है।
चाय
चाय की खेती के लिए ठंडी जलवायु और पूरे वर्ष समान वितरण वाली वर्षा की जरूरत होती है। चाय के बागानों के लिए अच्छी ड्रेनेज वाली दोमट मिट्टी और मंद ढ़ाल की जरूरत होती है। चाय की पत्तियों की प्रॉसेसिंग में बहुत अधिक श्रम की जरूरत पड़ती है। भारत चाय का अग्रणी उत्पादक है और उसके बाद श्रीलंका, चीन और केन्या का स्थान आता है।
कृषि का विकास
कृषि के विकास का मतलब है पैदावार बढ़ाने की दिशा में किए गए प्रयास। कृषि विकास के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं, जैसे खेती की जमीन का विस्तार, फसलों की संख्या बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, अधिक पैदावार वाले बीजों और खाद का इस्तेमाल, आदि। आधुनिक कृषि उपकरणों की मदद से भी इस काम में मदद मिलती है।
भारत का एक फार्म
भारत में जमीन का आकार अक्सर छोटा होता है। भारत का किसान गाँवों में रहता है। वह रियायती दरों पर बीज और खाद खरीदता है। भारत के अधिकतर भागों में जमीन उपजाऊ होने के कारण यहाँ के किसान साल में दो फसल तो उगा ही लेते हैं। चावल, गेहूँ और दाल यहाँ की मुख्य फसलें हैं।
भारत का किसान अपने बुजुर्गों और मित्रों से सलाह लेता है। वह सरकारी कृषि अधिकारियों से भी सलाह लेता है। कुछ किसान आज भी खेत जोतने के लिए बैलों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि कई किसान ट्रैक्टर का इस्तेमाल करने लगे हैं। सिंचाई के लिए नलकूप और नहरों का इस्तेमाल होता है।
अपनी आय को बढ़ाने के उद्देश्य से कई किसान पशुपालन भी करते हैं। कुछ किसान मुर्गी पालन करते हैं। सरकारी पशु चिकित्सालयों में मवेशी के कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था रहती है।
जरूरत पड़ने पर छोटे किसान के परिवार के सदस्य श्रम मुहैया कराते हैं। अधिकतर गाँवों में भंडारण की सही व्यवस्था नहीं है। इसलिए अधिकतर किसानों को बाजार प्रतिकूल होने के बावजूद अपनी फसल बेचनी पड़ती है।
यूएसए का एक फार्म
संयुक्त राज्य अमेरिका में एक फार्म का औसत आकार 250 हेक्टेयर होता है और कई खेत तो हजारों हेक्टेयर में फैले होते हैं। अमेरिकी किसान खेत पर ही रहता है। कॉर्न, सोयाबीन, गेहूँ, कपास और चुकंदर यहाँ की मुख्य फसलें हैं। खेत जोतने के लिए विशाल कल्टीवेटर का इस्तेमाल होता है। फसल की कटाई के लिए कम्बाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल होता है। खेत इतने विशाल होते हैं की पीड़कनाशी और खाद छिड़कने के लिए हवाई जहाज का इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिकी किसान मिट्टी के नमूने की समय समय पर जाँच करवाता है। मिट्टी की जाँच से खाद, बीज आदि के बारे में सही योजना बनाने में मदद मिलती है। अमेरिकी किसान उपग्रह से ताजा जानकारी प्राप्त करने के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल करता है।
अमेरिका में भंडारण की विकसित सुविधाएँ हैं जहाँ अनाज के लिए बड़े बड़े साइलो (कोठियाँ) बने हुए हैं। फलों और सब्जियों के कोल्ड स्टोरेज उन्नत किस्म के हैं।