वन्य जीवन संसाधन
जैवमंडल: स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के संधिस्थल का वह छोटा क्षेत्र जहाँ जीवन मौजूद है जैवमंडल कहलाता है। जैवमंडल में ही सारे पादप और जंतु रहते हैं।
पारितंत्र: सभी सजीव अपनी उत्तरजीविता के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। इस तंत्र को पारितंत्र कहते हैं।
प्राकृतिक वनस्पति से जंतुओं को आवास मिलता है और मनुष्यों को लकड़ी तथा कई वन उत्पाद मिलते हैं। जब पादप अपना भोजन बनाते हैं तो ऑक्सीजन गैस छोड़ते हैं। ऑक्सीजन गैस हर जीव के श्वसन के लिए जरूरी होती है। पादप द्वारा मृदा अपरदन की रोकथाम होती है। पादप द्वारा भौमजल के पुनर्भरन में मदद मिलती है।
वन्य जीवन: जंतुओं से हमें कई संसाधन मिलते हैं, जैसे कि मांस और दूध। मधुमक्खी से शहद मिलता है। पादपों के परागन में कीट अहम भूमिका निभाते हैं। गिद्ध जैसे जंतु अपमार्जक का काम करते हैं, क्योंकि वे मृत जंतुओं को खाते हैं। हर जंतु इस पारितंत्र में अपनी भूमिका निभाता है और पारितंत्र का संतुलन बनाए रखता है।
प्राकृतिक वनस्पति का वितरण
किसी क्षेत्र के तापमान और नमी पर वहाँ की वनस्पति निर्भर करती है। दुनिया की वनस्पति को चार मुख्य किस्मों में बाँटा गया है, वन, घास स्थल, गुल्म और टुंड्रा।
अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सघन वन होते हैं। नमी के कम होने से वृक्षों का आकार और उनकी सघनता घट जाती है।
मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे वृक्ष और घास पाई जाती है। शुष्क प्रदेशों में कँटीले गुल्म पाए जाते हैं। ध्रुवीय प्रदेशों में टुंड्रा वनस्पति होती है जिसमें मॉस और लाइकेन जैसे पादप शामिल हैं।
सदाबहार वन: जिस वन के वृक्ष वर्ष के किसी खास महीने में पत्तियाँ नहीं गिराते हैं उसे सदाबहार वन कहते हैं। ऐसे वन के वृक्षों के पत्ते साल के अलग-अलग समय में झड़ते हैं। इसके कारण वन हमेशा हरा भरा दिखता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में धूप और वर्षा होने के कारण सदाबहार वन पाए जाते हैं।
पतझड़ वन: जिस वन के वृक्ष वर्ष के किसी खास महीने में पत्तियाँ गिराते हैं उसे पतझड़ वन कहते हैं। ऐसे वन उपोष्ण क्षेत्र में पाए जाते हैं।
प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन का संरक्षण
वनोन्मूलन, मृदा अपरदन, निर्माण कार्य, जंगल की आग, सुनामी और भूस्खलन के कारण वनों और वन संपदा का ह्रास हो रहा है। अवैध शिकार के कारण कई महत्वपूर्ण वन्यजीवों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है।
सरकार ने प्राकृतिक वनस्पति और वन्यजीव के संरक्षण के लिए नेशनल पार्क, वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी और बायोस्फेयर रिजर्व बनाए है। वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं जैसे सामाजिक वानिकी और वनमहोत्सव। शिकार को अवैध घोषित कर दिया गया है। भारत में शेर, बाघ, हिरण, आदि के शिकार पर प्रतिबंध है।
साइट्स (कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फॉना एंड फ्लोरा) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो ऐसे जंतुओं और पक्षियों की लिस्ट जारी करती है जिनका व्यापार प्रतिबंधित है। आज लगभग 5,000 जंतु प्रजातियाँ और 28,000 वनस्पति प्रजातियाँ इस संगठन द्वारा सुरक्षा के दायरे में हैं।