संसाधन और विकास
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है?
उत्तर: किसी भी संसाधन का वितरण किसी स्थान के भूगोल पर निर्भर करता है। जैसे, कोयला और लौह अयस्क जैसे खनिज केवल पठारी इलाकों में पाये जाते हैं। कुछ देशों में अत्यधिक वर्षा होती है तो कुछ देशों में नाममात्र को होती है। इसलिए पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से वितरित है।
(b) संसाधन संरक्षण क्या है?
उत्तर: संसाधनों का सावधानी से इस्तेमाल करना और उन्हें नवीकरण के लिए पर्याप्त समय देना संसाधन संरक्षण कहलाता है।
(c) मानव संसाधन महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर: आदमी के दखल के बिना किसी भी संसाधन को उपयोगी नहीं बनाया जा सकता है। इसे समझने के लिए पेट्रोलियम का उदाहरण लेते हैं। जब लोग पेट्रोलियम के इस्तेमाल के बारे में नहीं जानते थे तब यह संसाधन नहीं था। जैसे ही आदमी ने पेट्रोलियम के इस्तेमाल के तरीके इजाद किये, यह एक संसाधन बन गया। इसलिए मानव संसाधन महत्वपूर्ण है।
(d) सततपोषणीय विकास क्या है?
उत्तर: हम जानते हैं कि अधिकतर संसाधन सीमित मात्रा में हैं। इसलिए उनका इस्तेमाल इस तरह से करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वैसे संसाधन उपलब्ध रहें। यही सततपोषणीय विकास की नीति है।
प्रश्न 2: सही उत्तर पर निशान लगाइए
(i) निम्नलिखित में से कौन संसाधन को निर्धारित नहीं करता?
- उपयोगिता
- मूल्य
- मात्रा
उत्तर: (c) मात्रा
(ii) निम्नलिखित में से कौन सा मानव निर्मित संसाधन है?
- कैंसर उपचार की औषधियाँ
- झरने का जल
- उष्णकटिबंधीय वन
उत्तर: (a) कैंसर उपचार की औषधियाँ
(iii) अनीवकरणीय संसाधन .............. होते हैं।
- सीमित भंडार वाले
- मनुष्यों द्वारा निर्मित
- निर्जीव वस्तुओं से व्युत्पन्न
उत्तर: (a) सीमित भंडार वाले
प्रश्न 3: क्रियाकलाप
"रहिमन पानी राखिए बिनु पानी सब सून
पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून ......"
ये पंक्तियाँ अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक, कवि अब्दुर रहीम खानखाना द्वारा लिखी गई थीं। कवि किस प्रकार के संसाधन की ओर संकेत कर रहा है? इस संसाधन के समाप्त हो जाने पर क्या होगा? इसे 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर: कवि पानी की ओर संकेत कर रहा है। पानी एक नवीकरणीय संसाधन है। लेकिन पूरी धरती पर जितना पानी है उसका बहुत ही छोटा हिस्सा ताजे पानी के रूप में है और हमारे इस्तेमाल लायक है। पानी का इस्तेमाल न केवल पीने के लिए होता है बल्कि खेती बारी और अधिकतर आर्थिक क्रियाओं के लिए होता है। यदि पानी समाप्त हो जाएगा तो इंसानों के अलावा जंतुओं और पेड़ पौधों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। जेब पेड़ पौधे और जंतु समाप्त हो जाएँगे तो पूरा पारितंत्र नष्ट हो जाएगा। खेती बारी भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में मानव अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।