भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
Extra Questions Answers
प्रश्न:1 किसी भी अर्थव्यवस्था को किन किन क्षेत्रक या सेक्टर में बाँटा जाता है?
उत्तर: किसी भी अर्थव्यवस्था को तीन सेक्टर में बाँटा जाता है:
- प्राथमिक या प्राइमरी सेक्टर
- द्वितीयक या सेकंडरी सेक्टर
- तृतीयक या टरशियरी सेक्टर
प्रश्न:2 प्राइमरी सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: प्राइमरी सेक्टर में होने वाली आर्थिक क्रियाओं में मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से उत्पादन किया जाता है। उदाहरण: कृषि और कृषि से संबंधित क्रियाकलाप, खनन, आदि।
प्रश्न:3 सेकंडरी सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: सेकंडरी सेक्टर में प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के द्वारा अन्य रूपों में बदला जाता है। उदाहरण: लोहा इस्पात उद्योग, ऑटोमोबाइल, आदि।
प्रश्न:4 टरशियरी सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: टरशियरी सेक्टर में होने वाली आर्थिक क्रियाओं के द्वारा अमूर्त वस्तुएँ प्रदान की जाती हैं। उदाहरण: यातायात, वित्तीय सेवाएँ, प्रबंधन सलाह, सूचना प्रौद्योगिकी, आदि।
प्रश्न:5 विभिन्न सेक्टर की पारस्परिक निर्भरता को समझाइए।
उत्तर: इस पारस्परिक निर्भरता को समझने के लिए बिस्किट का उदाहरण लेते हैं। एक बिस्किट का निर्माण मैदा, पानी, चीनी और कृत्रिम फ्लेवर से होता है। मैदा के उत्पादन के लिये गेहूँ की खेती जरूरी है। चीनी के लिये गन्ने का उत्पादन जरूरी है। मैदा और चीनी को बिस्किट फैक्ट्री तक पहुँचाने के लिये ट्रकों की जरूरत पड़ती है। खेतों और कारखानों में मजदूरों और मैनेजरों की जरूरत होती है। किसान को गेहूँ और गन्ना उपजाने के लिये खाद और बीज की जरूरत पड़ती है। इस उत्पादन के हर चरण पर पैसे का लेनदेन होता है। उस लेनदेन का हिसाब रखने के लिये एकाउंटेंट की जरूरत होती है। इस उदाहरण से विभिन्न सेक्टर की पारस्परिक निर्भरता का पता चलता है।
प्रश्न:6 संगठित सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: संगठित सेक्टर में सारी गतिविधियाँ एक सिस्टम से होती हैं, और यहाँ कानून का पालन होता है। संगठित सेक्टर में श्रमिकों के अधिकारों को महत्व दिया जाता है।
प्रश्न:7 श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर: सामाजिक सुरक्षा की जरूरत को समझने के लिये एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि किसी परिवार के कमाने वाले मुखिया की मृत्यु हो जाती है या वह काम करने में अक्षम हो जाता है। ऐसे में उसके परिवार पर यह संकट आ जाता है कि उसका आगे का गुजारा कैसे होगा। यदि ऐसे श्रमिक के परिवार को सरकार की नीतियों के अनुसार प्रोविडेंट फंड और बीमे की रकम मिल जाती है तो फिर उस परिवार को इतना सहारा मिल जाता है कि वह दोबारा अपनी जिंदगी शुरु कर सके। यदि ऐसे श्रमिक के परिवार को उसके हाल पर छोड़ दिया जाये तो उसका भविष्य अंधेरे में पड़ जायेगा।
प्रश्न:8 असंगठित सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: असंगठित सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता है और ज्यादातर कानून की अवहेलना की जाती है। छोटे दुकानदार, छोटे कारखाने वाले अक्सर इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों को मूलभूत अधिकार भी नहीं मिलते हैं।
प्रश्न:9 पब्लिक सेक्टर का क्या मतलब है?
उत्तर: जो कम्पनियाँ सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चलाई जाती हैं वे सार्वजनिक सेक्टर या पब्लिक सेक्टर में आती हैं।
प्रश्न:10 प्राइवेट सेक्टर का क्या मतलब है?
उत्तर: जिन कम्पनियों को निजी लोगों द्वारा चलाया जाता है वे प्राइवेट सेक्टर में आती हैं। उदाहरण: टाटा, इंफोसिस, गोदरेज, मारुति, आदि।